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SHRUTSAGAR
16
July-2018
कविए ऋषि केशवजीना मातापिता, वंश, गुरु परिवारादिनो तो ट्रंकमां उल्लेख कर्यो ज छे साथे पोतानी गुरुपरंपरानी नोंध आपवानुं पण कवि त्यां चूक्या नथी । अहीं श्रुतसागरमां सर्व प्रथमवार टबानुं प्रकाशन करायुं छे तेथी वाचकोना अभ्यासार्थे अमारे श्लोकोना सार (भावार्थ) आपवो जोईए पण समयमर्यादा अने स्थानलाघवने मान आपी वाचको जाते ज कृतिनो अभ्यास करे तेवी आशा छे।
टबा अंगे थोडुं -
टबो एटले टबार्थ. वि.सं. १५मी थी शरू थये साहित्यना आ प्रकारमां मूळ कृतिनुं आलेखन कर्या पछी ते लखेल छूटा पाडेला दरेक शब्दोनी उपर तेनो समानार्थी शब्द के तेनी नजीकना पर्यायार्थी शब्दनुं लेखन कराय छे। ते शब्दालेखनने ज टबो कहेवाय. अमे अहीं ते छूटा पाडेला शब्दोने क्रमांक आपी दीधो छे । ते क्रमांक मूळ श्लोकमां शब्द उपर जोई शकाशे । ज्यारे तेनो टबो श्लोकनी नीचे तेटलामां ज शब्दनंबर पर शोधी शकाशे। जो के टबाकार अहीं बधा ज शब्दोना विशेष अर्थोनुं आलेखन न करता मूळना ज शब्दोने पर्यायार्थ रूपे प्रयोजे छे।
कृतिकार - प्रथम रचना १८ मी सदीना कवि कनकविलाशनी रचना छे. तेओ उपा. सुमतिसिंघुरजीना शिष्य उपा. कनककुमारजीना शिष्य छे । कविए पोते तेमनी परंपरा वर्णवी होवा छता तेमना गच्छनी काव्यमां नोंध नथी। अनुमानथी प्रायः तेओ खरतरगच्छनी होवानी संभावना छे. ज्यारे बीजी कृति अज्ञात कर्तृक छे । कृतिनी हस्तप्रत परथी कृतिकार १७मी सदी पूर्वे थया होवा जोईए तेतुं कही शकाय । छेल्ली कृति १८मी सदीमां थयेली लोंकागच्छना कवि प्रेमजीनी रचना छे । काव्यरचना पण त्यारनी ज छे। जो के कविनी गुरूपरंपरा अहीं पण उल्लेखित थई होवाथी कविनो समय विगेरे माहिती मळी शके खरी पण अमारा विहारादिने कारणे अमे ते अंगे विशेष प्रयत्न करी शक्या नथी ।
प्रतपरिचय- कल्याणमंदिर स्तोत्रनी प्रथम पादपूर्तिनी प्रत खंभातना जैनशाळा अंतर्गत शेठ मणीलाल पीतांबरदास हस्तलिखित प्रतना संग्रहनी छे, तेनी फोटो कोपी आपवा बदल शेठ शांतिलाल मणीलालना परिवार जनोनो, प्रो. कांतिभाईनो, मनुदादा नो तेमज जैन शाळाना ट्रस्टीओनो खूब खूब आभार ।
अन्य प्रकाशित बन्ने कृतिओ श्री हेमचंद्राचार्य ज्ञानमंदिर, पाटणना हस्तलिखित प्रत संग्रहनी छे। ते बन्ने कृतिओनी हस्तप्रत फोटोकॉपी आपवा बदल
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