Book Title: Shrutsagar 2018 07 Volume 05 Issue 02
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 33
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 33 श्रुतसागर जुलाई-२०१८ थयुं अने तेथी तेमना अथाग परिश्रम अने ऊंडा अभ्यासनुं जे सुंदर फळ जैन साहित्यना प्रकाशनने मळवानुं हतुं ते एक रीते अकाळे ज करमाइ गयुं । छतां श्रीमान महाराजानी शुभ ज्ञाननिष्ठाथी ए कार्य आगळ चालु ज छे अने एमां एक सुयोग्य जैन पंडित श्रीयुत लालचंद भगवानदास गांधीनी सेवा भळेली छे, तेथी हजी पण जैन ग्रंथोने ए ग्रंथमाळामां आदर मळतो रहेशे एवी आशा छे । ए ग्रंथमाळामां अद्यावधि नीचे जणावेलां जैन ग्रंथरत्नो उत्तम रीते प्रकट थयां छे अने देशविदेशना प्रसिद्ध पुस्तकालयोमां सुंदर स्थान पाम्यां छे I Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १ *जैनमहामात्य वस्तुपाल विरचित नरनारायणानन्द काव्य । २ *बालचंद्रसूरि विरचित वसन्तविलास काव्य । ३ मंत्री यशःपाल विरचित मोहराजपराजय नाटक संशोधन मुनि चतुरविजयजी । ४ सोमप्रभाचार्य विरचित कुमारपाल प्रतिबोध. संशोधक मुनि जिनविजयजी । ५ *जयसिंहसूरि रचित हम्मीरमदमर्दन नाटक । ६ *अनेक विद्वानकृत संग्रह प्राचीनगूर्जर काव्यसंग्रह | ७ *धनपाल पंडितकृत पंचमीकहा (अपभ्रंशग्रंथ) । ८ *रामचंद्र विद्वान् कृत नलविलास नाटक. संशोधक पंडित लालचंद भ. गांधी । ९ जैसलमेरीय जैन ग्रन्थभण्डार सूचि (दलाल अने गांधी) । १० अपभ्रंश काव्यत्रयी । ११ न्याय प्रवेश सटीक (हरिभद्रकृत टीकायुक्त) । १२ पाटणना भंडारोनी ग्रंथसूचि । उपरनी यादीमां जे नाम छे ते तो खास जैन विद्वानोना बनावेला जैन ग्रंथोनां ज छे. ए उपरांत अजैन विद्वानोना बनावेला, पण खास जैन भंडारोमांथी ज मळी आवेलाजैन भंडारो सिवाय बीजे कोइ ठेकाणे नहि जणाएला- एवां जे ग्रंथो गायकवाड ओ. सीरीझमां छपाएला छे, तेमनी संख्या तो ए करतांय वधारे छे. जगद्-दुर्लभ्य ए ग्रंथोने काळना मुखमांथी आजसुधी साचवी राखवानुं महत्पुण्य जेम जैन ज्ञान भंडारना संरक्षकोने घटे छे तेम अंधकाराच्छादित भूगर्भमांथी बहार काढी फरी जगत आगळ मूकवानुं सत्पुण्य वडोदरा नरेश श्री सयाजीरावने घटे छे. तथास्तु. जैन साहित्य संशोधक, खंड ३, अंक १ से साभार * आ निशानीवाळा ग्रंथो सद्गत् दलालनां संपादित करेला छे. For Private and Personal Use Only

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