Book Title: Shrutsagar 2018 07 Volume 05 Issue 02
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 31
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वडोदरा नरेशनो जैन साहित्य-प्रेम मुनि श्रीजिनविजयजी भारतना वर्तमान आर्यनृपतिओमां वडोदराधीश श्रीमान सयाजीराव महाराजनी विद्याविलासिता अने साहित्यप्रियता जगजाणीती छे । एमणे पोतानी प्रजामां ज्ञान प्रचार माटे जेटली लागणी बतावी छे अने जेटली महेनत लीधी छे तेटली बीजा कोई नृपतिए लीधी नथी। केवळ पोतानी प्रजानी दृष्टिए ज नहि पण आखी भारतीय प्रजाना ज्ञान अने संस्कारना विकास माटे पण एमणे अनेकविध साहित्य प्रवृत्तिओ उभी करी छे अने ते द्वारा ज्ञानना विविध प्रदेशोना अभ्यासना मार्गो खुल्ला कर्या छे । ए मार्गोमां एक मार्ग ग्रंथ प्रकाशननो पण छे । वडोदरा राज्यनी अने ते साथे आखा भारतनी प्रजा विश्वना विविध विषयो अने विचारोनुं ज्ञान मेळवी शके ते माटे श्रीमाने आखं एक पुस्तक प्रकाशन खातुं ज उभु कर्यु छे, अने ते द्वारा अनेक ग्रंथो संस्कृत, प्राकृत, गुजराती, मराठी आदि भाषाओमां प्रकट कराव्ये जाय छे। श्रीमानना ए सार्वदेशीय पुस्तक प्रकाशन कार्यमां जैन साहित्यने पण केटलो बधो सारो फाळो मळ्यो छे तेनी एक टुंक यादी, जैन साहित्य संशोधकना अभ्यासुओनी जाण खातर, अहिं आपीए छीए। जैनोनी प्राचीन संस्कृतिनु मुख्य केन्द्र गणातुं अने गुजरातनुं गौरववंतु जूनुं पाटनगर अणहिलपुर पाटण श्रीमान सयाजीराव महाराजना आधिपत्य नीचे आवेलुं होवाथी, त्यांना जूना जैन भंडारो तरफ श्रीमाननी दृष्टि वळे ए स्वाभाविक हतुं। तेथी श्रीमाने पोतानी कारकिर्दीनी व्हेली शुरुआतमां ज गुजरातना जाणीता विदेही साक्षर श्री मणिलाल नभुभाई द्विवेदीने पाटणना भंडारो तपासवानुं अने तेमांथी इतिहास, साहित्य, तत्त्वज्ञान आदिनी दृष्टिए जे उत्तमोत्तम ग्रंथ जणाय तेमनां गुजराती मराठी भाषांतरो करी करावी प्रसिद्ध करवानं काम सोंप्यु । श्रीमाननी आज्ञा प्रमाणे साक्षर मणिलाले प्रथम पाटणना बधा भंडारो जोइ करी तेमांना भिन्न-भिन्न विषयोना ग्रंथोनी एक यादी बहार पाडी अने ते साथे भाषांतर करवा लायक केटलांक ग्रंथोनी तारवणी करी। ए तारवणीमांथी लगभग नीचे जणावेला पंदर ग्रंथोनां भाषांतरो छपावी प्रसिद्ध करवामां आव्यां। १ बुद्धिसागर संग्रामसिंहकृत. २ समाधिशतक जिनसेन गुणभद्रकृत. ३ नीतिवाक्यामृत सोमदेवसूरिकृत. ४ भोजप्रबंध ५ षड्दर्शनसमुच्चय हरिभद्रसूरिकृत. ६ कुमारपाल प्रबंध जिनमंडनोपाध्यायकृत For Private and Personal Use Only

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