Book Title: Shrutsagar 2018 07 Volume 05 Issue 02
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ___15 श्रुतसागर जुलाई-२०१८ प्रस्तुत कृति अंगे __ अत्रे प्रकाशित काव्यमार्नु पूर्वे अप्रकाशित प्रथम काव्य उपर छेल्ली नजरे जोता प्रभू पार्श्वनाथनी स्तवना रूपे रचायेल पादपूर्ति काव्य ज जणाय छे । परंतु सूक्ष्मद्दष्टिथी जोता संपूर्ण कृति जाणे कल्याणमंदिर स्तोत्रनी संस्कृत भाषामांजरचायेली समश्लोकी रचना जणाशे। कविए काव्यना जे ते पद्योना भावोने ते ज स्वरूपे राखी कृतिनो जाणे शब्ददेह बदल्यो होय तेवू कृति वांचता अनुभवाय छे । जो के तेटला ज शब्दोमां, ते ज छंदमेळादि जाळवी शब्दान्तर करवू ते कोई सामान्य कवि- गजु नथी। शब्दभंडोळ बहोळो होय, काव्यत्व सहज होय त्यारे ज आवी रचना संभवी शके । कृतिनुं एकंदरे सुंदर सर्जन थयु होवा छताय मूळ पद्योना भावो लाववामां कवि क्यांक उणा पण उतर्या छे तेवं बे-त्रण जग्याए देखाय छे । अहीं कृतिनो विशेष परिचय न आपता अमे थोडा शब्दनो कोश पाछळ मूक्यो छे वाचको तेनाथी ज संतोष पामशे। ____ बीजी कृति कल्याणमंदिरना प्रथम श्लोकना चारे चरणोनी पादपूर्तिवाळी रचना छ । कविए अजितनाथ प्रभुनी स्तवनाना उद्देशथी प्रस्तुत कृतिनी रचना करी छ । कृति रसाळ तो छ साथे साथे सरळ पण छे । आ कृतिनुं पुनः प्रकाशन करवानो हेतु कृतिनी शुद्ध वाचना छ। लीजी पूर्वे अप्रकाशित कृति लोंकागच्छीय ऋषि केशवना चरित्रनुं यत्किंचित आलेखन करती कल्याण मंदिरनी पादपूर्तिमय रचना छे । कविए नवा त्रण चरणोनी रचना द्वारा ज्यारे ऋषि केशवजीना चरित्रनी वर्णनानो प्रयास कर्यो छे त्यारे मूळ कल्याणमंदिर स्तोत्रना चोथा चरणनी पादपूर्तिनो अर्थ पण ऋषि केशवजीना जीवनचरित्रना उपलक्षमां खुलतो अहीं जोई शकाय छे। जो के कवित्वनी दृष्टिए विचारीए तो तेम करवामां रचना थोडा अंशे निरस थई होय तेवू पण लागे छे। थोडा काव्योमां तो कविनेय पोतानी कल्पनाना विस्तारने आलेखवामां लांबी कडाकूट करवी पडी हशे तेवू जोई शकाय छे । कदाच तेथी ज कविए अथवा अन्य कोई विद्वाने कृतिना आशयने स्पष्ट करवाना उद्देशथी ज टबो एटले टबार्थ रच्यो होय तेवू बने । टबा वगर अमारा माटे पण कृतिने समजवी अघरी ज हती। कविए काव्य मां फक्त ऋषि केशवजीना चारित्रनु संक्षिप्तमां आलेखन कर्यु छे तेवू नथी, ते सिवाय पण विविध पहेलिकाओ, विभिन्न उपमाओ जेवी बहुविध साहित्यिक सामग्रीथी काव्यने सुंदर पण बनाव्यु छ । ऐतिहासिक तथ्योने रजू करता For Private and Personal Use Only

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