Book Title: Shrutsagar 2018 07 Volume 05 Issue 02
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org श्रुतसागर 13 सब्द रूप रस गंधनी जी, फरस सरस सुखकार, भोग लहै मनवंछिया जी, सेवत चरण उदार जनपद सहस बत्तीसना जी, अधिपति सैवै राय, षटि(ट) खंडपति पदवी तणौ जी, पामै तुम्ह पसाय देवविमान सुहामणा जी, नाटक नाना छंद, इंद्रादिक संपत्ति लहै जी, पूजित ऋषभजिणंद सिवसुख वंछक मानवी जी, तुम्ह पद सेवै जेह, ते तूठां त्रिभुवनधणी जी, सो पांमै सिवगेह संवत सतर तेतीसै (१७३३) समै जी, भोगीदास उछाह, जात करावी भावसुं जी, लीधो लक्ष्मी-लाह , सूध भावै जिन पूजीया जी, जनम सफल मुझ आज, ध (धु) लेवापुरवर धणी जी, भेट्या श्रीजिनराज कलस- ऋषभदेव प्रतीत आंणी ध्यान ध्यावै एकमना, मनोवंछित लहै कमला सुख पामै आसना, धूलेवमंडन दुरियखंडन विकट विघन आपद हरै, श्रीसुमतिसूरि पसाव लहिकै श्रीविनयसूरि इम उच्चरै Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only जुलाई - २०१८ ११ ऋषभ... १२ ऋषभ... १३ ऋषभ... १४ ऋषभ... १५ ऋषभ... १६ ऋषभ... १७ ऋषभ... ।। इति श्रीऋषभदेवजी स्तवनं ।। * प्राचीन साहित्य संशोधकों से अनुरोध श्रुतसागर के इस अंक के माध्यम से प. पू. गुरुभगवन्तों तथा अप्रकाशित कृतियों के ऊपर संशोधन, सम्पादन करनेवाले सभी विद्वानों से निवेदन है कि आप जिस अप्रकाशित कृति का संशोधन, सम्पादन कर रहे हैं अथवा किसी महत्त्वपूर्ण कृति का नवसर्जन कर रहे हैं, तो कृपया उसकी सूचना हमें भिजवाएँ, जिसे हम अपने अंक के माध्यम से अन्य विद्वानों तक पहुँचाने का प्रयत्न करेंगे, जिससे समाज को यह ज्ञात हो सके कि किस कृति का सम्पादन कार्य कौन से विद्वान कर रहे हैं? इस तरह अन्य विद्वानों के श्रम व समय की बचत होगी और उसका उपयोग वे अन्य महत्त्वपूर्ण कृतियों के सम्पादन में कर सकेंगे. निवेदक सम्पादक (श्रुतसागर)

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