Book Title: Shripal Charitram Author(s): Kirtiyashsuri Publisher: Sanmarg Prakashan View full book textPage 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चेडयनरिंद धूया, वीया जस्सत्थि चिल्लणादेवी । जीए असोगचंदो, पुत्तो हल्लोविहल्लोय ॥७॥ 18. ___ अर्थ-जिस श्रेणिक राजाके दूसरी रानी चेडा महाराजकी पुत्री चेलणा नामकी है जिस चेलणाका प्रथम पुत्र ४ अशोकचंद्र कोणिक १ दूसरा हल्ल २ तीसरा विहल्ल ३ यह तीन पुत्र हैं ॥७॥ अन्नाओ अणेगाओ, धारणिपमुहाउ जस्स देवीओ। मेहाइणो अणेगे, पुत्ता पियमाइपयभत्ता ॥८॥ है| अर्थ-औरभी अनेक धारणी प्रमुख जिस श्रेणिक राजाके रानियां हैं जिन्होंकी कुक्षिसे उत्पन्न भए मेघकुमारादि अनेक पुत्र हैं कैसे हैं पुत्र पिता माताके चरणोंके भक्त हैं ॥८॥ सोसेणिय नरनाहो, अभय कुमारेण विहिय उच्छाहो। तिहुयण पयड पयावो, पालइ रज्जं च धम्मं च॥९॥2 | अर्थ-वह श्रेणिक राजा अभयकुमार करके किया है उत्साह जिसको ऐसा और तीनभुवनमें प्रगट प्रताप | जिसका ऐसा राज्य और धर्म पालता है ऐसा ॥९॥ एयंमि पुणो समए, सुरमहिओ वद्धमाणतित्थयरो। विहरतो संपत्तो, रायगिहासन्न नयरंमि ॥ १०॥ ___ अर्थ-इस समयमें देवोंकरके पूजित श्रीमहावीरस्वामी तीर्थकर विचरते भए राजग्रहके समीप नगरमें आए ॥१०॥ पेसेइ पढम सीसं, जिटुं गणहारिणं गुणगरिहें। सिरि गोयमं मुणिंदं, रायग्गिहलोय लाभत्थं ॥११॥ MEROLAGAMASALARE For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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