Book Title: Shatpadi Bhashantar
Author(s): Mahendrasinhsuri
Publisher: Ravji Devraj Shravak

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Page 18
________________ ( १८) अनुक्रमणिका. पृष्टांक. Je. आवे ते वेला वीसा पजूसणा करवी. ... ... ...१०० ८३ अधिकमास थतां संवछरीपडिकमणुं श्रावण मुदि पां चमेज करवू. ... ... ... ... ... ... ...१०१ ८४ लौकिक टीपणुं नहि मानवु.... ... ... ... ...१०२ ८५ साधु श्रावकने छजीवणी अध्ययन सूधी उत्सर्ग मार्गेज शीखावी शके छे. ... ... ... ... ... ...१०४ ८६ श्रावके आठ प्रवचन माताना ज्ञान माटे उत्तराध्ययन .. प्रवचनमात्र अध्ययन शीखतां कंइ बाध नथी.... ...१०७ ८ श्रावकने आवश्यकनियुक्ति तथा सिद्धांतना छूटक आ. . लावा शीखवामां कंइ बाध नथी... ... ... ... " ८८ श्रावकने आवश्यकचूर्णि वगेरानो अनुयोग आपी श- ... - काय छ. ... ... ... ... ... ... ....१०९ ८९ साधु अजाण्या घरेथीज वहोरे एवं एकांत नथी. तेथी ____ श्रावकना घरेथी पण भिक्षा लइ शकाय. ... ...११० ९० साधु श्रावकना घरो उपरांत बीजा कुलोथी पण भिक्षा । लइ शके छे. ... ... ... .... ... ... ...१११ ९१ एक घरमा एकज संघाडाए वहोर, ए नियम पण ए____ कांते पाडी शकाय नहि. .. ... ... ... ...११४ ९२ श्रावकोए देवताना माफक काव्यो अने नमोत्थुणावडे. २ ज़ चैत्यवंदन कर.... ... ... ... ... ...११५ ९३ श्रावकोने प्रायश्चित्त आपवा मूत्रसिद्धज छे. ... ...११६ ९४ साधुने फळ वोरवानी उत्सर्गे निषेध छ पण अपवादे निषेध नथी.... ... ... ... ... ... ...११७ ९५ साधुए अपवादे फळ वोरवानी शास्त्रमा अमुक विधि पण बतावी छ. .......... ........ ... ...२१९

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