Book Title: Shatkhandagama Parishilan
Author(s): Balchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 7
________________ समर्पण जो गम्भीर अध्येता, संशोधक, साहित्यसाधना में अविश्रान्त निरत, अपभ्रंश भाषा के उद्धारकों में प्रमुख और कुशल सम्पादक रहे हैं तथा जो जसहरचरिउ, करकंडचरिउ, णायकुमारचरिउ, सावयधम्मदोहा व पाहुडदोहा जैसे अपभ्रंश भाषा से सम्बन्धित ग्रन्थों को आधुनिक पद्धति से सम्पादित कर उस (अपभ्रश) भाषा को प्रकाश में लाये हैं; जिन्होंने अपनी योग्यता व व्यवस्थाकुशलता से दान में प्राप्त स्वल्पद्रव्य के बल पर षट्खण्डागम परमागम के सम्पादन-प्रकाशन के स्तुत्य कार्य को सम्पन्न कराया है, और लम्बे समय तक सम्पर्क में रहते हुए जिनका मुझे सौहार्दपूर्ण स्नेह मिला है व सीखा भी जिनसे मैंने बहुत कुछ है उन स्व० डॉ० हीरालाल जैन एम० ए०, डी० लिट० के लिए मैं उनकी उस सदिच्छा की, जिसे वे बीच में ही कालकवलित हो जाने से पूर्ण नहीं कर सके, आंशिक पूर्तिस्वरूप इस कृति को उन्हीं की कृति मान कर सादर समर्पित करता हूँ। -बालचन्द्र शास्त्री Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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