Book Title: Shantiavatar Shantinath Diwakar Chitrakatha 007
Author(s): Vidyutprabhashreeji, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 13
________________ शान्ति अवतार भगवान शान्तिनाथ ओह ! महाग्वाला विद्या ! यह तो मुझे जलाकर राख कर देगी। भागूं यहाँ से। O S Rani o2009 O Panas HTTERTAIMER परन्तु उसके पीछे-पीछे महाज्वाला विद्या को आती देखकर किसी ने शरण नहीं दी। अग्निघोष ने कई जगह छुपने की कोशिश की। भागते-भागते अग्निघोष दक्षिण भारत की सीमा पर जा पहुंचा। वहाँ एक केवल ज्ञानी भगवान की सभा में जाकर बैठ गया। महाज्वाला विद्या उसका पीछा करती हुई आयी परन्तु ओह ! इसके अन्दर कैसे I n जाऊँ? यहाँ तो इन्द्र का वज्र TREAभी प्रवेश नहीं कर सकता। COM महाञ्चाला विद्या केवल ज्ञानी भगवान के सामने नहीं जा सकी और वापस लौट गई। 0 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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