Book Title: Shantiavatar Shantinath Diwakar Chitrakatha 007
Author(s): Vidyutprabhashreeji, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan
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...उस पर दीखने में सुन्दर और मीठे फल लगे थे। रास्ते चलते यात्री थककर उसके नीचे विश्राम करते, | भूख लगने पर उसके फल भी खा लेते। किन्तु जैसे ही उसके फल खाते वे मूर्च्छित हो जाते, या मर जाते।
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राजा ने सैनिकों को आदेश दिया
इस जहरीले वृक्ष को तो जड़ से काटकर फेंक दो, ताकि भविष्य में किसी यात्री की जान जोखिम में न पड़े।
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शान्ति अवतार भगवान शान्तिनाथ
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एक बार उस देश का राजा भी उस जंगल में उसी वृक्ष के नीचे अपनी सेना सहित विश्राम करने लगा। तभी वनरक्षक ने आकर राजा से निवेदन कियाकी छाया
महाराज ! आप इस जहरीले वृक्ष में मत बैठिए । जो भी इसकी छाया में बैठता है वह बीमार हो जाता है, और जो इसके फल खाता है, वह मर जाता है।"
राजा की आज्ञा से वृक्ष काट दिया गया।
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