Book Title: Shantiavatar Shantinath Diwakar Chitrakatha 007
Author(s): Vidyutprabhashreeji, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 29
________________ ...उस पर दीखने में सुन्दर और मीठे फल लगे थे। रास्ते चलते यात्री थककर उसके नीचे विश्राम करते, | भूख लगने पर उसके फल भी खा लेते। किन्तु जैसे ही उसके फल खाते वे मूर्च्छित हो जाते, या मर जाते। 520 23 राजा ने सैनिकों को आदेश दिया इस जहरीले वृक्ष को तो जड़ से काटकर फेंक दो, ताकि भविष्य में किसी यात्री की जान जोखिम में न पड़े। Jain Education International शान्ति अवतार भगवान शान्तिनाथ S छ است एक बार उस देश का राजा भी उस जंगल में उसी वृक्ष के नीचे अपनी सेना सहित विश्राम करने लगा। तभी वनरक्षक ने आकर राजा से निवेदन कियाकी छाया महाराज ! आप इस जहरीले वृक्ष में मत बैठिए । जो भी इसकी छाया में बैठता है वह बीमार हो जाता है, और जो इसके फल खाता है, वह मर जाता है।" राजा की आज्ञा से वृक्ष काट दिया गया। 10 Por Privat: 29 ersonal Use Only mm www.jainelibrary.org

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