Book Title: Shantiavatar Shantinath Diwakar Chitrakatha 007
Author(s): Vidyutprabhashreeji, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 35
________________ आपको करनी है, हम बेचते हैं, विश्वासपूर्ण शुद्ध सोना, चाँदी और हीरे-जवाहरात के आभूषण अपनी पहचान और आप करते हैं, उसकी पहचान ! पाते हैं संतोष और विश्वास। आप इस पहचान में चूक भी सकते हैं। परन्तु हमारा विश्वास कभी नहीं चूकता, कभी नहीं देता आपको धोखा। किंतु अब तो समय आ गया है, करें हम अपनी बात, आप कीजिए अपनी पहचान स्वयं ! कसौटी है यह • किसी प्राणी पर शस्त्र चलता देखकर, उसकी हिंसा, हत्या होते देखकर क्या भीतर ही भीतर आपका हृदय करुणा से भींगने लगता है ? अनुकम्पा से काँपने लगता है ? किसी रोगी, विपत्तिग्रस्त, दर्द से कराहते प्राणी को देखकर उसकी सेवा/सहायता के लिए क्या आपका हृदय पसीज उठता है? हाँ,... तो आप हैं, सच्चे मानव ! किसी दुःखी, जरूरतमंद, संतप्त व अज्ञानग्रस्त मानव को देखकर उसको सान्त्वना व ज्ञान देने, सहयोगदान करने की भावना जागती है आपमें? हाँ,... तो आप हैं, भव्य जीव ! • किसी की अप्रिय बात सुनकर, अप्रिय व्यवहार देखकर तथा मन के प्रतिकूल संयोगों में भी क्या आप अपने को सन्तुलित और 'सम' (स्थिर) रख सकते हैं ? हाँ,... तो आप हैं, सम्यक्त्वी ! क्या धन, परिवार, प्राप्त भोग सामग्रियों को आप मात्र जीवनयापन का साधन मानकर उपयोग करते हैं ? तथा समय आने पर उसे समाज व राष्ट्र के हित में त्यागने का संकल्प भी रखते हैं ? हाँ,... तो आप हैं, वास्तविक श्रावक ! कसौटी आपके सामने है । अपनी पहचान स्वयं कीजिए !! आपका अपना ही हितैषी/शुभ चिन्तक रतनलाल सो. बाफना ज्वेलर्स "नयनतारा", सुभाष चौक, जलगांव-४२५ ००१ फोन : २३९०३, २५९०३, २७३२२, २७२६८ जहा विश्वासही पम्पय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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