Book Title: Shantiavatar Shantinath Diwakar Chitrakatha 007
Author(s): Vidyutprabhashreeji, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 25
________________ शान्ति अवतार भगवान शान्तिनाथ मागधदेव तुरन्त शान्तिनाथ जी की सेवा में पहुंचा। उसने अवधिज्ञान से देखा। AN यह तो पांचवें चक्रवर्ती। प्रभो ! मैं पूर्व दिशा का शान्तिनाथ जी हैं। मुझे दिग्पाल मागध देव आपकी | उनकी सेवा में जाना सेवा में चाहिये। कलन interope अनेक प्रकार के दिव्य उपहार भेंट कर मागध देव ने शान्तिनाथ जी की अधीनता स्वीकार कर ली। चक्ररत्न दक्षिण दिशा की ओर चला। वहाँ के नरेशों ने भी बिना युद्ध किये महाराज शान्तिनाथ की अधीनता स्वीकार कर ली। इस तरह छ: खण्डों पर विजय प्राप्त करके शान्तिनाथ अपनी विशाल सेना के साथ राजधानी हस्तिनापुर लौट आये। चक्रवर्ती शान्तीनाथ की जय हो महाराज शान्तिनाथ चिरायु हों! शान्तिनाथ जी ने अपनी धर्मनीति और बल-वैभव से हजारों वर्षों तक छ: खण्ड पर एक छत्र राज्य किया। 25 Main Education International For Private & Personal Use Only Relibrary.org

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