Book Title: Sarasvatikanthabharanam
Author(s): Dhareshvar Bhojdev, Kedarnath Sharma, Vasudev L Shastri
Publisher: Pandurang Jawaji

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Page 847
________________ सरखतीकण्ठाभरणेPROPOROC003000DPPROPOROSOP00000 (10) द्विचतुष्कचक्रबन्धःइह शिखरसन्धिमालां बिभ्यादध समाश्रितैर्वर्णैः / द्विचतुष्कचक्रबन्धे नेमिविधौ चापरं भ्रमयेत् // POORapooLOGO RO O भावि ना रे न च 11 caroor000000000000cordprocovercomravav जयदेव नरेन्द्रादे लम्बोदर विनायक / जगदे धनचन्द्राभालघिदन्तविभाय ते // (द्वि. प. पृ. 280 श्लो. 311 (11) द्विशृङ्गाटकबन्धः, शृङ्गाद् ग्रन्थि पुनः शृङ्ग ग्रन्थि शृङ्गं व्रजेदिति / द्विशृङ्गाटकबन्धेऽस्मिन्नेमिः शेषाक्षरैर्भवेत् // नवना DOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOPARATORS #.धा. या गौरी का मका न roovecordovcom करासजवशेशंखगौरवस्य कलारसम् / संधाय वलयां शङ्कामगौरी मेवनात्मक // (द्वि. प. पृ. 281 श्लो. 313)

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