Book Title: Sarasvatikanthabharanam
Author(s): Dhareshvar Bhojdev, Kedarnath Sharma, Vasudev L Shastri
Publisher: Pandurang Jawaji

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Page 872
________________ 199 पद्यानि . पृष्ठाङ्काः। पद्यानि पृष्ठाङ्काः खं नागराज बहुमस्य 162 देसेमि तं पि ससिणं 693 त्वदर्पितदृशस्तस्या 335 दट्ठोट हो असिलअ-... 530 त्वदास्येन्दू समौ दृष्ट्वा 394 देण्डे चुम्बति पद्मिन्या. 21 त्वदुद्धतामयस्थान .. .. 223 दैत्तेन्द्राभयदक्षिणैः / 604 त्वद्वकेन्दुविलोकनाकुलधिया 86 | दैदी सरः पङ्कजरेणु . त्वद्वियोगोद्भवे चण्डि 657 | देवतमाकरिभिः करिभिः वन्मुखं त्वन्मुखमिव 259,413 | दधिक्षीरघृताम्भोधि 606 त्वेन्मुखं पुण्डरीकं च द्वयो- 358 | | दन्तक्खों कपोले त्वैन्मुखं पुण्डरीक फुल्ले 358,406 | दमं दानं दयां शिक्षः .. त्वमर्कस्त्वं सोमस्त्वमसि .527 | दयितजनविरह 241 त्वमेवंसौन्दर्या स च रुचिर- 85 देरवेविरोरुजुअलासु खमेव देव पातालं . . 225 दर्पणे च परिभोगदर्शिनी बमेव धातुः पूर्वोऽसि . 224 दर्भाकरेण चरणः क्षत त्वया जगन्ति पुण्यानि . 518 | दर्शनपथमायाता 376 त्वय्यादातुं जलमवनते दैलति हृदयं गाढोद्वेगं त्वामालिख्य प्रणयकुपितां देशत्यसौ परभृतः 535 बाष्ट्रास्त्वाष्ट्रारिराष्ट्रेन 1. कर्पूरमअरी 1-25. 2. काव्याथोआरूढमहुमआ द० 3-110. 3. उत्तररा० 6-18. थोओसरन्तरोसं थोअत्थोअ. 4. कुमारसं० 3-37.15. किरातार्जु० 5-7. 6. बृहदारण्यकं 5-2-3. दसणवलिअं दढकं 7. गा० स० 7.14. . 8. कुमारसं० . 8-11, हेमचन्द्रस्य काव्यानुशासने च. 1. विक्रमोर्व०.४.३९. 2. काव्या- | 9. शाकुन्त० 2-13. 10. शाकुद० 2.190. 3. काव्याद० 2-193. न्त० 6-20, 'सुखमनुभवतः' इति M. 4. वामनकाव्या० 3-2-13. 5. उत्त- Williams, and Pischel. ररा० 1.43. 6. मेघदू० . 1.47. 11. उत्तररा० 3-31.. 12. का७. मेघदू० 2044. . व्याद०-२-२९६. . .. 625 88 . 67

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