Book Title: Sarasvatikanthabharanam
Author(s): Dhareshvar Bhojdev, Kedarnath Sharma, Vasudev L Shastri
Publisher: Pandurang Jawaji

View full book text
Previous | Next

Page 883
________________ 543 438 47 79 714. 263 पद्यानि .. . पृष्ठाङ्काः. पद्यानि पृष्ठाङ्काः. थान्त्या मुहुर्वलित 572 रजोभिस्तुरगोत्कीर्णे . या विभर्ति कलवल्लकी 218 | रणदुजओ दहमुहो याम यामत्रयाधीना 202 रत्तुप्पलदलसोहा यामानीता नीतायामा 215 रन्धणकम्मनिपुणिए 602 यावनीवमहं मौनी रेमिऊण पअम्मि गए 640 ग्राश्रिता पावन्तया 124,272 रैम्यं द्वेष्टि पुरा यथा यास्यत्यद्य शकुंतले. 583 रसवदमृतं कः संदेहो युवैष गुणवान् राजा 478 . राजकन्यानुरक्तं मां 450 यूथायितमवतु हरेः 738 | राजन् राजसुता न पाठयति मां 536 येन ध्वस्तमनोभवेन 192 राजानमपि सेवन्ते 476 येनापविद्धसलिलस्फुट राजीवमिव ते वक्र यैस्त्वं साक्षात्कृतो नाथ राजीव राजीवश 198 योग्यो यस्ते पुत्रः 24 राज्ञां विनाशपिशुनः 137 यो यः शस्त्रं बिभर्ति 126,161 राज्ये सारं वसुधा योषितामतितरां रातावद्याधिराज्या 275 यो हि दीर्घासिताक्षस्य री ममन्मथशरेण ताडिता 730 रोमाभिषेके मदविह्वलाया 180 रइअंपि ताण सोहर रोमोऽयं जगतीह विक्रमगुणैः 680 रइअमुणालाहरणो 521 इअरकेसरणिवहं 427 1. रघुवं० 4-29. 2. गा० स० रइविग्गहम्मि कुण्ठीकआओ 628 1-14. 3. गा० स०१.९८. 4. शारक्षसा मृगरूपेण 694,739 कुन्त० 6.5. 5. वामनकाव्या. 3-2 11. 6. काव्याद० 2-264. 7. का१. शिशुपाल० 4-57. 2. शाकुतले. 4.5. 3. ध्वन्यालो० 2.25. व्यप्रकाशेऽपि. 8. पूर्वार्धमात्रं काव्याद. काव्यप्रकाशे च 189 पृ. 4. किरातार्जु० २-१६.९.शिशुपा० 4-9.10. काव्या५-३०. 5. वेणीसं०३-२७. 6. शि. द० 3.181. 11. रुद्रटकाव्यालं० 7. शुपा० 10.90. 7. सेतुब० 1.17. 97. 12. रघुवं०-११-२०. 13. महा4. रघुवं० 12-53. नाटके 3.5, 14. महानाटके 6.40. 338

Loading...

Page Navigation
1 ... 881 882 883 884 885 886 887 888 889 890 891 892 893 894