Book Title: Sarasvatikanthabharanam
Author(s): Dhareshvar Bhojdev, Kedarnath Sharma, Vasudev L Shastri
Publisher: Pandurang Jawaji

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Page 871
________________ 14 19 - तपेन 419 पद्यानि पृष्ठाङ्काः। पद्यानि पृष्ठाङ्काः तस्याः पातुं सुरगजं 344 | तीर्थे तोयव्यतिकरभवे 652 तस्याः प्रवृद्धलीलाभिः 531 तीव्रीभिषङ्गप्रभवेण तस्या जीवनिरस्तु मातरवमा 61 / तुंसि मए चूअंकुर 145 तेस्या विनापि हारेण 222 तुज्झ ण आणे हिअअं 144 तह सा जाणइ पावा . 688 तुरंगनिचयव्यग्रानुर्वीभिदः 742 ती नारदः कामचरः कदाचित् 698 तुरङ्गमथ मातङ्गं ती प्रत्यभिव्यक्तमनोरथानां 323 तुलयति स्म विलोचनतारकाः 201 तो रोहिणीं विजानीहि . तुह विरहुजागरओ ता कुणह कालहरणं तेण इर णवलआए तान्येव यदि भूतानि तेनाथ नाथ दुरुंदाहरणातापेनोग्रोऽस्तु देहे 272 . 138,609 ताम्राङ्गुलिदलश्रेणि ता राघवं दृष्टिभिरापिबन्यो तेऽप्याकाशमसिश्यामं 602 ते विरला सप्पुरिसा 503 तालसारप्रभा राका 422 तोवच्चिअ रइसमये तो कुंभअण्णपडिवअण तीवमवणेइ ण तहा तो ताण हअच्छाअं 434 तिमिरनिरुद्धभीमजननी त्यज मनसि सदाहे तिलकमसहास्मि सोढुं 165 | त्यागेन युक्ता दिवमुत्पतन्ति 196 विष्ठ द्वारि भवाङ्गणे 176,632 सागो हि सर्वव्यसनानि हन्ति 196 तीए दंसणसुहए 1. रघुवं० 8-95. 2. कुमारसं० तीए सविसेसदूमिम 678 3-73. 3. शाकुन्त० 6-2. 4. शा१. मेघदू० 1-52. 2. ध्वन्यालोके कुन्त० 3.17. 5. उत्तररा० 1-23-9. 2-25. 3. कुमारसं० 1-50. 4. र- | 6. वामनकाव्या० 2-2-12. 7. शिघुवं० 6.12.. 5. वामनकाव्या० 4- शुपाल० 6-4. 8. कुमार० 6.36) 2-7. 6. महावीरच० 2-14. 7. का- उत्तरार्ध च श्रीमद्भागवते 3.20-15. व्याद० 2-69. . 8. रघुवं. 7-12.] 9. सेतुब० 3.9. 10. सेतुब० 2. 9. गा० स० 1-5. 10. गा० स० 45. 11. शूद्रकस्येति सुभाषितावलिः, 3.88. .... / परं मृच्छकटिके नास्ति. 28. 246 . 724

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