Book Title: Sarasvatikanthabharanam
Author(s): Dhareshvar Bhojdev, Kedarnath Sharma, Vasudev L Shastri
Publisher: Pandurang Jawaji

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Page 864
________________ 417 240 3 458 641 197 254 - पद्यानि .. पृष्ठाकाः पद्यानि पृष्ठाङ्काः किं गौरि मां प्रतिरुषा 296 किमिति कबरी याहकू ताहक् 523 किं चित्रं यदि देवेन - 351 कियन्मानं जलं विप्र 122,298 किंचिद्भावालसमसरल- 121 | किरन्तः कावेरीलडह 97 किंचिद्वच्मि न वच्मि 261 किसलयकरैर्लतानां किं जम्पिएण दहमुह 496 | किसलयमिव मुग्धं किंजल्कसङ्गिशिञान कीदृशा भूमिभागेन के जातोऽसि चतुष्पथे कुतः कुवलयं कर्णे 494 किं ण भणिओसि बालक . | कुत्तो भइ पन्थिन 130 किं तातेन नरेन्द्रशेखर कुमुदमिव मुखं तस्य 43 किं तादेण नरेन्द्रसेहर 197 | कुमुदवनमपनि श्रीमदम्भोजकिं द्वारि दैवहतिके 162,709,718 कुम्भकूटाकुटाक 236 किं नो व्याप्तदिशां प्रकम्पित- 680 | कुरुं लालस भूलेहे 225 किं पद्ममन्तर्धान्तालि 445 कुर्वन्तोऽमी कलकलं किं भणिओसि ण बालअ 641 | कुलजातिसमाकुलीकृतानां किं भाषितेनं बहुना. कुलममलिनं भद्रा मूर्तिः किं रूपं स्फुटमेव सा शशिमुखी 611 कुवलयदलातासौ 222 किं वसन्तसमये वनभक्षः 304 कुँवलयदलस्निग्धश्यामः किंशुकव्यपदेशेन 469 कुविआ अ सच्चहामा किं स खर्गतरुः कुविआओ वि पसण्णाओ 671 कुशलं राधे सुखितोऽसि 297 1. रुद्रटकाव्या० 2-15. 2. वा. कुशलं तस्या जीवति मनकाव्या० 2-2-4. 3. मल्लटस्य 39. | कृच्छ्रेणोरुयुगं व्यतीत्य - 726 भदन्तस्येति ऑफ़ैक्टपण्डितः. मुभाषितावलौ, शार्ङ्गधरपद्धतौ च शानवर्मणः। | 1. शार्ङ्गधरप० भोजराजस्य. 2. रुद्र४. गा० स० 4-70. 5. सुभाषि० टकाव्या० 8.50-. 3. उत्तररा० 3.5. विकंटनितम्बायाः. 6. वे० सं० 2.16.| 4. काव्याद० 2.123. 5. शिशुपा० 7. काव्याद० 2-26. 8. वामनका० 11.64. 6. उत्तररा०४-१९. ७.ध्व२-१-८. 9. सुभाषि० भामहस्य. / न्यालोके 1-17.8. रत्नावली 2-10. 251

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