Book Title: Sarasvatikanthabharanam
Author(s): Dhareshvar Bhojdev, Kedarnath Sharma, Vasudev L Shastri
Publisher: Pandurang Jawaji

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Page 863
________________ 236 . 125 602 520 48 39 "पद्यानि पृष्ठाङ्काः पद्यानि पृष्ठाङ्काः कर्णोत्पलं न चक्षुस्ते कान्तिप्रतापौ भवतः . .19 कलङ्कमुक्तं तनुमध्य- 218 | कान्ते कुटिलमालोक्य केलापिनां चारुतयोप- 219 कान्ते तल्पमुपागते . कैल्पान्ते शमितत्रिविक्रम कान्त्या चन्द्रमसं 134 कल्याणी बत गाथेयं 386 | कामं कन्दर्पचाण्डालो कैश्चित्कराभ्यामुपगूढनाल 584 कामं प्रत्यादिष्टां स्मरामि कस्य नो कुरुते मुग्धे कामं वनेषु हरिणाः 473 कस्स करो बहुपुण्णफले- 686. कामचीकमथाः केऽमी .. कैस्स व ण होइ रोसो 452 | कामदं चण्डकदं मदा- 287 कह कह विरएइ परं कामिनीगण्डनिस्यन्दि 101 कह णु गआ कह दिट्ठा कामोपभोगसाकल्य कह मा झिज्झउ मज्झो 498,679 कारणगहिओवि मए काअं खाअइ खुहिओ 22 काराविऊण खरं की कथा बाणसंधाने 504 | कार्याकाण्ययमविकला५०४ 121 काङ्क्षन्पुलोमतनयास्तन- 284 | कालं कपालमालाई 244 काञ्चिप्रतोलीमनुकामिनी तां 203 | कालाक्खरदुस्सिक्खिन 471 काठिन्यमस्याः कुचयोः . 172 काहमस्मि गुहा वक्ति को त्वं शुमे कस्य परिग्रहो 696 | किं कण्ठे शिथिलीकृतः कान्तयानुगतः कोऽयं 300 किं किं दे पडिहासइ 638 किं गुरुजहणं अह थण- 725 1. काव्याद० 3-59. 2. काव्याद० 3.56. 3. शार्ङ्गधरपद्धतौ छिन्न- 1. वामनकाव्यालं० 2.2.22. मस्य / ऑफ़ैक्टपण्डितस्तु छिन्नम इति / | 2. अमरु० 101. 3. पादत्रयम् , कामणरत्नमहोदधावस्य चित्तप इति नाम / व्याद० 2.50. 4. काव्याद० 1.64. 4. रामायणे सुन्दरकाण्डे 34-6 5. र. 5. शाकुन्त० 5-30. ६..वामनका. घुवं० 6.13. 6. गा० स० 6-75.| व्यालं० 2-2.4. 7. उत्तरार्धं का. 7. ध्वन्यालोके 1.4. 8. शकुन्त०३.१.| व्याद० 3.153: 8. गा० स० 1. 9. रघुवं.१६.८. 702 15.

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