Book Title: Sarasvatikanthabharanam
Author(s): Dhareshvar Bhojdev, Kedarnath Sharma, Vasudev L Shastri
Publisher: Pandurang Jawaji
________________ पृष्ठाङ्काः 306 670 ‘पद्यानि पृष्ठाङ्काः। पद्यानि आलोअंति दिसाओ . . 648 | ईतः स दैत्यः प्राप्तश्रीः . 195 . आवर्जिता किंचिदिव स्तनाभ्यां 612 | इतः खपिति केशवः कुलमितः 460 आवाअभअअरं चि . 644 इति विस्मृतान्यकरणीयमा- 604 आविर्भवन्ती प्रथमं प्रियायाः 385 | ईंति शासति सेनान्यां ऑविवाहसमयाद्गृहे वने / 681 इंदं गुरुभ्यः पूर्वेभ्यो आँशु लचितवतीष्टकराग्रे 91 | इदमम्लानमानाया 597 आश्चर्यमुत्पलदृशो वदनामलेन्दु 609 ईदमसुलभवस्तुप्रार्थना- 613 आश्लेषिणः पृथुरतक्लम- 716 ईदमा स्मितज्योत्स्नं आश्लेषे प्रथम क्रमेण विजिते इंदं मघोनः कुलिशं 597 आसाइअमण्णाएण इन्दीवरश्यामतनुर्नूपोऽयं 519 आसादितप्रकटनिर्मलचन्द्र- 739 इन्दुर्मूनिं शिवस्य शैलदुहितुः 83,531 आसीदैत्यो हयग्रीवः 152 इन्दुर्यत्र न निन्द्यते न मधुरं 628 आँस्थामालम्ब्य नीतेषु इन्दुर्लिप्त इवाजनेन . 465 आहारे विरतिः समस्त इमास्ता विन्ध्याः शुकहरित 316 आहूतस्याभिषेकाय 477 इमिणा सरएण ससी 'ईयं सा लोलाक्षी त्रिभुवन- 61, इक्षुदण्डस्य मण्डस्य इयं गेहे लक्ष्मीरियममृत- 601 इतः परानर्भकहार्यइतः प्रत्यादेशात्वजनमनुगन्तुं 583 1. कुमार० 2-55. 2. नीतिशतके० 77. 3. रघुवं० 9.99. 4. किरा. .. 1. कुमार० 3-54. 2. माल- ता० 15-29. 5. उत्तरराम० 1.1. तीमा० 3.4. 3. उत्तरराम० 1.37. 6. कान्या० 2.289. 7. विक्रमो० ४.शिशु० 10.64. ५.मालती०३.५. 2.6.8. पूर्वार्धम् , काव्याद 2.78. 6. मेण्ठकर्तृकहयग्रीववधस्थ इति सुवृत्त- 9. काव्या० 2-291. 10. रघुवं. तिलके. 3-16. 7. किराता० 15.4. | 6.65. 11. सुभाषिताव० शार्ङ्गधः 8. शार्ङ्गधर० राजशेखरस्य. 9. धनि. 12. बालराम० 1-42. 13. धनिकस्य कस्य दशरूपके. 2-4. 10. रघुवं० दशरूपके. महानाटके च 3-23. 7.67.11. शाकुन्तल० 6.8. 14. उत्तर० 1-38. 740
Page Navigation
1 ... 857 858 859 860 861 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871 872 873 874 875 876 877 878 879 880 881 882 883 884 885 886 887 888 889 890 891 892 893 894