Book Title: Samvedasya Mantra Bramhnam
Author(s): Satyabrata Samasrami
Publisher: Calcutta

View full book text
Previous | Next

Page 51
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १० ख० ८-१२। वायो व्रतपते व्रतं चरिष्यामि तत्ते प्रब्रवीमि तच्छकेयं तेना समिदमह मन्तात् मत्य मुपैमि खाहा ॥१०॥ सूर्यव्रतपते व्रतं चरिष्यामि तत्ते प्रब्रवीमि तच्छके य तेन ा ममिदमहमनतात् सत्य ममि वाहा॥ ११ ॥ चन्द्र बतपते व्रतं चरिष्यामि तत्ते प्रब्रवीमि तच्छ्रकेयं तेना समिदमह मनतात्मत्य ममि स्वाहा ॥१२॥ व्रतानां व्रतपते व्रतं चरिष्यामि तत्ते प्रबबीमि हे 'व्रतपते !' उपनयनादि-त्रतस्य अधिपते ! 'वायो' ! अहमितयादि पूर्ववत् ॥ १० ॥ हे 'व्रतपते !' उपनयनादि-व्रतस्य अधिपते ! 'सूर्य !' अहमितपादि पूर्ववत् ॥ ११ ॥ हे 'तपते !' उपनयनादि-व्रतस्य अधिपते ! 'चन्द्र !' अहमित्यादि पुर्ववत् ॥ १२ ॥ हे 'प्रतानाम्' उपनयनादीनां कार्याणां 'व्रतपते !' इन्द्र ! अहमितादि पुर्ववत् ॥ १३ ॥ উপনয়ন প্রভৃতি ব্রতের অধিনায়ক হে বায়াে ! ইত্যাদি পূৰ্ব্ববৎ। ১০ উপনয়ন প্রভৃতি ব্রতের অধিনায়ক হে সূৰ্য্য ! ইত্যাদি পূৰ্ব্ববৎ ॥ ১১। উপনয়ন প্রভৃতি ব্রতের অধিনায়ক হে চন্দ্র ! ইতাদি পূৰ্ব্ববৎ ॥ ১২ १०-~-वाय देवता । निगदः । उपनयन-हीमे विनियोगः । ११---सू- देवता। निगदः। उप यन-हीम विनियोगः । १२---चन्द्री देवता । निगदः । उपनयन-हीमे विनियोगः । For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145