Book Title: Samrat Samprati Diwakar Chitrakatha 045
Author(s): Jinottamsuri, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 6
________________ सम्राट सम्प्रति सम्राट अशोक ने पत्र पढ़ा और आदेश भेजा। दूत आदेश पत्र राजाज्ञा के अनुसार कुणाल को एक छोटे से प्रदेश का | लेकर वापस अवन्ती आया। मंत्री को पत्र दिया- - राजा बना दिया गया। कुमार कुणाल को पास के एक छोटे प्रदेश का राज्य दिया जाता है। कोई योग्य कन्या देखकर कुमार का विवाह कर दिया जाय। और एक सामन्त की कन्या शरतश्री के साथ उसका विवाह हो गया। एक दिन कुणाल ने शरतश्री से कहा आज आषाढ़ी पूर्णिमा । है। हम जिन मन्दिर में जाकर भक्ति करेंगे। राजकुमार और शरतश्री ने भक्तिभाव से प्रभु की पूजा की और फिर दोनों ने मिलकर भक्ति संगीत गाया। भक्ति-संगीत को सुनकर श्रोता झूमने लगेवाह ! स्वर में क्या मिठास है! क्या तन्मयता है ! प्रभु भक्ति बिन जीवन सूना पूनम की रात मन्दिर में भक्तिगीत की रसधार बहती रही। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jalnelibrary.org.

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