Book Title: Samrat Samprati Diwakar Chitrakatha 045
Author(s): Jinottamsuri, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 17
________________ लोग उसे पूछते हैंआपका नाम क्या है? सम्राट् ने आदेश दिया सम्राट सम्प्रति मैं तो सूरदास हूँ। अंधा तानपूरा वाला। m Jain Education Internationa कहाँ के रहने वाले हो? आपके साथ और कौन है ? एक दिन सम्राट् अशोक राजसभा में बैठे थे। उन्होंने कहासुबह से राजकार्य में लगे रहने से बहुत थक गये हैं। आज मनोरंजन के लिए कोई संगीत-नृत्य हो जाय। लोगों के प्रश्नों का उत्तर देता हुआ वह गाता-गाता आगे निकल जाता। जिस चौराहे पर खड़ा होकर गाता वहीं हजारों की भीड़ सुनने के लिए जमा हो जाती। बुलाओ उसको, हम आज उसी का. संगीत सुनेंगे प्रभु की यह सृष्टि ही मेरा ह घर है, यह महाराज ! नगर में एक अंधा गवैया आया "हुआ है। सारा नगर उसके संगीत में पागल हो रहा है। उसका संगीत आप सुनेंगे तो सारी थकावट उतर जायेगी। 15 For-Private & Personal Use Only तानपूरा ही मेरा परिवार है। COORD COEDUIS www.jainelibrary.org

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