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पारुल माकड
SAMBODHI
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अर्थश्लेष के प्रकारों के अन्तर्गत भाषाश्लेष को स्वीकृति दी गई है। समासोक्ति में रुय्यक-जगन्नाथ के विचारों का समचित सक्षेप प्रशंसनीय है।
अत्र प्रकृतेऽप्रकृतनायिकादिव्यवहार एवारोप्यते इति सर्वस्वकारादयः । नायिकात्वादिकमप्यारोप्यते इति रसगङ्गाधरादयः 1 (सू. १६ की वृत्ति-पृ.-२०)
निदर्शना में रुय्यक ने वृत्ति में अन्वयबाध शब्द प्रयोग दिया है, विश्वेश्वर ने वही से प्रेरणा लेकर 'अन्वयानुपपत्त्या सादृश्यपर्यवसान निदर्शना ।' सूत्र रचा है । (सू. ३७) द्वितीय निदर्शना भी सर्वस्व के निरूपण पर आधारित है ।
दीक्षितजी का नूतन अलंकार 'ललित' (जो जगन्नाथ में भी है) विश्वेश्वर ने स्वीकार किया है, लक्षण में शब्दान्तर है, किन्तु भावार्थ समान है (सूत्र १८, कुव. १२) ।
अप्रस्तुतप्रशंसा, प्रस्तुताकुर के सूत्र क्रमश: रुय्यक और दीक्षितजी के आधार पर रचे गये हैं । (सूत्र, १९,२०) विश्वेश्वर ने अतिशयोक्ति के छ प्रकार दिये हैं, जो दीक्षितजी के कुवलयानन्द पर निर्भर है । (सू. २१)
इस तरह सम्भावनम् और मिथ्याध्यवसिति भी दीक्षितजी के आधार पर सूत्रित किये गये है (सूत्र २२, २३) विश्वेश्वर में कोई खास विशेषता दृष्टिगोचर नहीं होती ।
हेतु अलंकार में आचार्य विश्वेश्वर ने कार्य और कारण का अभेद-कथन माना है । द्वितीय हेतु अलंकार रुय्यक का काव्यलिंग ही है । (द्र. सू. २५ की वृत्ति. अलं. सं. सू. ५८)
अलंकारखदीप का उल्लेख-निरूपण सर्वथा रुय्यक के अलं. स. पर आधारित है। किन्तु रुय्यक ने उल्लेख के कारणों में रुचि, अर्थित्व और व्युत्पत्ति दिये हैं तो विश्वेश्वर ने मात्र प्रमात्मक ज्ञान ही स्पष्ट किया है । (सू. २६, अलं. स. सू. २०)
प्रतिवस्तूपमा, दृष्टान्त, दीपक, मम्मट, रुय्यक और जगन्नाथ पर आधारित है । आवृत्ति दीपक को उन्होंने दीपक के अन्तर्गत ही माना है ।
तुल्ययोगिता रुय्यकानुसारी है । व्यतिरेक मम्मटानुसारी है । (सूत्र ३१, ३२)
विश्वेश्वर का आक्षेपनिरूपण सर्वस्वकार अनुसार निरूपित है। (सूत्र, ३३) व्याजस्तुति (सूत्र४१), सहोक्ति पूर्वाचार्यों पर आधारित है । सहोक्ति में चमत्कार धर्म को उन्होंने अनिवार्य माना है । (४२) विनोक्ति की दूसरी व्याख्या अलंकारभाष्यकार अनुसार है।
पर्यायोक्त रुय्यक पर आधारित है । दूसरा पर्यायोक्त उनकी नवीन उद्भावना है । भ्रान्तिमान भी पूर्वाचार्यों के आधार पर रचा गया है । (सूत्र १७) (रम्यभ्रमो प्रान्तिमान् ।) रम्य विशेषण विश्वेश्वर का योगदान है।