Book Title: Samaysara Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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17 जह (प्र)=जैसे गाम (म)=पाद पूर्ति को (क) 1/1 सवि वि
(म)= भी पुरिसो (पुरिस)1/1 परदव्यमिण [(पर)+ (दवं)+ (इण)] [(पर) वि-(दस्व)1/1] इण (इम) 1/1 मवि ति (प्र)- इस प्रकार जारिणदु (जाण) सकृ मुवि (मुय) व 3/1 सक तह (प्र)-वैसे ही सन्ये (सव्व) 2/2 परभावे [(पर)-(भाव) 212] पादूरण (णा) सक विमुञ्चदे (विमुञ्च) व 3/1 सक
पाणी (णारिण) 1/1 वि 18 अहमेक्को [(प्रह) + (एक्को)] अहं (पम्ह) 1/1 स एक्को (एक्क)
1/1 मवि खलु (अ)निश्चय ही सुद्धो (सुद्ध) 1/1 वि दसरगणाणमइयो [(दमण-(णाणमइन) 1/1 वि] सयास्वी [(मया)+ (मख्वी)] सया (अ)==सदा अस्वी (मरूवि) 1/1वि ण (प)-नही वि (म)=इसलिए अत्यि (अ)=है मज्झ (अम्ह) 611 किचि (अ)-कुछ वि (अ)=भी अण्ण (अण्ण)
1/1 सवि परमाणमेत [(परमाण.)-(मेत) 1/1]पि (प)=भी 19 एदे (एद) 1/2 सवि सन्वे (सन्व) 1/2 सवि भावा (भाव) 1/2
पोग्गलदव्वपरिणामणिप्पण्णा [(पोरगल)- (दम्व)-(परिणाम)(णिप्पण्ण) भूक 1/2 अनि] केवलिजिणेहि (केवलिजिण) 3/2 भरिणदा (भण) भूक 1/2 किह (अ)= कैसे ते (त) 1/2 सवि जीवो (जीव) 1/1 ति (अ)-इस प्रकार वुश्चति (वुच्चति) व कर्म 3/2 सक अनि
20 अरसमरूवमगध [(मरस) + (मरूव) + (अगध)] अरस (मरस)
1/1वि प्ररूवं (प्रस्व) 1/1 वि अगष (अगध) 1/1 वि अव्वत्त (प्रवत्त) 1/1 वि चेदरगागुणमसद्द [(चेदणा)+ (गुण)+ (प्रसद्द)] [(चेदणा)-(गुण) 1/1] असद्द (असद्द) 1/1 वि
जाण (जाण) विधि 2/1 सक अलिंगग्गहण [(मालिंग) विचयनिका
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