Book Title: Samaysara Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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148 पादा (पादु) 111 वि
(वाकी के लिए देखें 147) 149 अण्णापो (मण्णारिण) 1/1 वि कम्मफल [(कम्म)-(फल) 2/1]
पडिसहामट्टिदो [(पाड)-(सहाव)-(ट्ठिद) 1/1 दि] दु (म) =ही वेदेदि (वेद) व 3/1 पाणि (पाणि) 1/1 वि पुरण (म)=किन्तु जारणदि (जाण) व 3/1 सक उदिद (उदिद) भूक 2/1 अनि ए (म)= नही
150 ए (म)-नही मुयवि (मुय) व 3/1 सक पयस्मिभन्यो [(पहि)
+ (मभन्यो) ] पहिं (पडि) 2/1 मभन्बो (मभन्व) 1/1 वि सुट्ट (म)= भली प्रकार वि (अ)= भी अज्झाइदूण (मज्झान) सकृ सत्यारिण (सत्य) 1/2 गुडदुद्ध [(गृड)-(दुद्ध) 2/1] पि (म)= भी पियता (पिव) व 1/2 पण्णया (पण्णय) 1/2
रिपरिवसा (रिणविम) 1/2 वि होति (हो) व 3/2 अक 151 रिणम्वेयसमावण्णो [ (रिणब्वेय)-(समावण्ण) भूक 1/1 अनि ]
पाणी (पाणि) 1/1 वि कम्मफल [ (फम्म)-(फल) 2/1] वियाणादि (वियाण) व 3/1 सक महुर (महुर) 2/1 वि कड्य (कडुय) 2/1 वि बहुविहमवेदगो [(बहुविह) + (प्रवेदगो)] बहुविह (बहुविह) 2/1 वि अवेदनो (मवेदग) 1/1 वि तेण (अ)= इसलिए सो (स) 1/1 सवि होदि (हो) व 3/1 प्रक
152. [ वि (प्र)-न ही कुन्वदि (कुन्व) व 3/1 सक घेददि (वेद)
व 3/1 सक गाणी (णाणि) 1/1 वि कम्माइ (कम्म) 2/2 यहुप्पयाराइ [ (बहु) वि-(प्पयार) 2/2 ] जाणदि (जाण) व 3/1 मक पुरण (प्र)-किन्तु कम्मफल [(कम्म)-(फल) 2/1]
1 वर्तमान काल के प्रत्ययों के होने पर कभी कभी अन्त्यस्य 'अ' के स्थान 'मा' हो
जाता है हेम-प्राकृत-व्याकरण 3-158 वृत्ति) ।
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