Book Title: Samaysara Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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159 पासडिय (पासडिय) मूल शब्द 6/2 लिगेसु (लिंग) 7/2 व (प्र)
=तथा गिहिलिगेसु [(गिहि)-(लिंग) 712] (अ)= तथा बहुप्पयारेसु (बहुप्पयार) 7/2 कुन्वति (कुन्ब) व 3/2 सक जे (ज)1/2 ममत्त (ममत्त) 2/1 तेहि (त) 312 स ण (अ)= नही रणाव (णा) भूकृ 1/1 समयसार (समयसार) 111
160 ववहारिओ (ववहारिअ) 1/1 वि पुण (प्र)=पादपूर्ति गो
(णम) 1/1 दोणि (दो) 2/2 वि (प्र)=ही लिंगाणि (लिंग) 2/2 भणदि (भण) व 3,1 सक मोक्खपहे [(मोवख)(पहे) 7/1] णिच्छयणो [(पिच्छय)-(ण) 1/1] दु (प्र) =किन्तु णेच्छदि [ण) + (इच्छदि)] ण (अ)=नही इच्छदि (इच्छ) व 3/1 सक मोक्खपहे [(मोक्ख)-(पह) 7/1] सव्वालिंगाणि [(सन्व)-(लिंग) 212 ]
1 तथा' पर्ष को प्रकट करने के लिए '' भव्यय कभी कभी दो वार प्रकट किया
जाता है।
समयसार

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