Book Title: Samaysara Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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2/1 एव (अ)=ही हि (अ)=पाद पूर्ति करेदि (कर) व 3/1 सक वेदयदि (वेदयदि) व 3/1 मक अनि पुणो (प्र) तथा त (त) 2/1 मवि चेव (अ) ही जाण (जाण) विधि) 2/1 सक अत्ता (अत्त) 1/1 दु (प)-ही प्रत्ताण (प्रप्तारा) 211 ववहारस्स (ववहार) 611 दु (प्र)= किन्तु प्रादा (पाद) 1/1 पोग्गलकम्म [(पोग्गल)-(कम्म)2/1] करेदि (कर) व 3/1 सक
यविह (णेयविह) 2/1 वि त (त) 211 मवि चेव (म)=ही य (प्र)=तथा वेदयदे (वेदयदे) 43/1 मक पनि अणेयविह (अणेयविह) 2/1 वि
44 जदि (प्र)= यदि पोग्गलकम्ममिण [(पोग्गल)+ (कम्म)+
(इण)] [(पोग्गल)-(कम्म) 2/1] इण (इम) 2/1 सवि कुम्वदि (कुन्व) व 3/1 मक त (त) 2/1 मवि चेव (अ) ही वेदयदि (वेदयदि) व 3/1 सक अनि प्रादा (पाद) 1/1 दोकिरियावदिरित्तो[(दो) वि-(किरिया)-(प्रवदिग्त्ति) 1/1 वि] पसज्जदे (पसज्ज) व 3/1 अक सो (त) 1/1 सवि जिणावमदं [ (निण) + (अव) + (मद)] [(जिण-(अव) प्रविपरीत(मद)12/1] ज (ज) 2/1 सवि कुरणदि (करण) व 3/1 मक भावमादा [ (भाव)+ (आदा)] भावं (भाव) 211 प्रादा (आद) 1/1 कत्ता (कत्तु) 1/1 वि सो (त) 1/1 सवि होदि (हो) व 3/1 अक तस्स (त) 6/1 स भावस्स (भाव) 6/1 कम्मत्त (कम्मत्त) 2/1 परिणमदे (परिणम) व 3/1 सक तम्हि (त) 7/1 स
सय (अ)=अपने आप पॉग्गल (पॉग्गल) 1/1 दन्वं (दव्व) 1/1 1 कभी कभी सप्तमी के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है ।
(हेम-प्राकृत-व्याकरण 3-137)
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