Book Title: Samaysara Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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4.
104. अप्पा मारतो [ (गप्पारण) - (प्रयाणतो) ] प्रप्पारण (अप्पारण) 21 प्रयागतो (प्र-- शरण) वकृ 1 / 1 प्रणव्यय ( प ) 2/1 स्वायिक य' प्रत्यय चावि [(च) प्रावि) ] च (प्र) = ओर प्रावि (प्र) = मी सो (त) 1 / 1 सवि प्रयाणतो ( प्र - यारण) वकृ 1 / 1 किह (प्र) कैसे होदि' (हो) व 3 / 1 अक सम्मदिट्ठी ( सम्मदिट्टि) 1/1 वि जीवाजीवे [ (जीव) + (प्रजीवे) ] [ (जीव) - (प्रजीव) 27/1 ]
105. लाल गुरोग [ ( लाग) - ( गुण ) 3 / 1 ] विहोगा ( विहीण ) 5 / 1 वि एद (एद ) 2 / 1 मवि तु (घ) पाद-पूर्ति पद (पद) 2/1 ag (g) 1/2 fa fa (x) = | = प्रत ग ( प्र ) = नही लहति ( लह) व 3/1 सक त (श्र) = इसलिए गिव्ह (गिण्ह ) विधि 2 / 1 सक रियदमेद [ (यिद ) + (एद ) ] गियद ( रिणयद ) 2 / 1 वि एद (एट) 2 / 1 सवि नदि (प्र) = यदि इच्छसि (इच्छ) व 2 / 1 सक कम्मपरिमोक्स [ ( कम्म ) - ( परिमोक्स) 2 / 1 ]
106 एदम्हि (एम) 7 / 1 मवि रदो (रद) भूकृ 1 / 1 प्रनि खिच्च (प्र) सदा सतुट्ठो (संतुदठ) भूकृ 1 / 1 अनि होहि (हो) विधि 2/1 क रिच्चमेदम्हि [ ( णिच्च) + (एदम्हि ) ] णिच्चं (प्र) = सदा एदम्हि (एद ) 7/1 सवि एदेण (एद ) 3 / 1 स तित्तो (fan) 1/1 fa fzfz (¿ì) ufa 3/1 asF JE (IFE) 4/1 स उत्तम (उत्तम) 1/1 वि सोक्ख (सोक्ख) 1 / 1
प्रश्नवाचक शब्दो के साथ वर्तमान काल का प्रयोग प्राय भविष्यत् काल के अथ मे होता है ।
कभी कभी द्वितीया विभक्ति के स्थान पर सप्तमी विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है । ( हेम प्राकृत - व्याकरण 3-135 )
किसी कार्य का कारण व्यक्त करने के लिए सज्ञा में तृतीया या पचमी का प्रयोग किया जाता है ।
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