Book Title: Samaysara Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 121
________________ [ (इच्छा)-(विरद) भकृ ||| अनि ] य (अ) तथा अण्णम्हि (अण्ण) 711 97 जो (ज) 1|| मवि सन्वसगमुक्को [(मन्त्र) वि - (सग)-(मुक्क) भूक 111 अनि ] झायदि (भा) व 3/1 सक अप्पारगमप्पणा [ (अप्पाग) + (अप्पणा) ] अप्पारण (अप्पारग) 2/1 अप्पणा (अप्प) 3 11 अप्पा (अप्प) I/I ण (प्र)= नहीं वि (प्र)-कभी कम्म (कम्म) 1/1 पोकम्म (लोकम्म) 1/1 चेदा (चेद) 1/1 चितेदि (चित) व 3/1 मक एयत्त (ण्यत्त) 2/1 98 अप्पाण (अप्पारण) 211 झायतो (भा) वकृ 1/1 दसणणाणमइओ [(दसण)-(णाणमइन) 1/1 वि] अणण्णमत्रो (अणण्णमन) 1/1 वि लहदि (लह) व 3/1 मक प्रचिरेण (क्रिविन)-शीघ्र अप्पारणमेव [ (अप्पारण) + (एव) ] अप्पाण (अप्पारण) 2/1 एव (अ)=ही सो (त) 1|| सवि कम्मपविमुक्क [ (कम्म)(पविमुक्क) भूकृ 2/1 अनि] जह (प्र) = जैमे विसमुव मुज्जतो [(विस) + (उवमुज्जतो)] विस (विम) 11 उवमुज्जतो (उवमुज्जतो) वकृ कर्म 1/1 प्रनि वेज्जो (वेज्ज) 1/1 वि पुरिसो (पुरिस) 1/1 रण (अ)=नही मरणमुवयादि [ (मरण) + (उवयादि) ] मरण (मरण) 2/1 उवयादि (उवया) व 3/1 सक पोग्गलकम्मस्सुदय [(पोग्गल)+ (कम्मम्स) + (उदय)] [(पोग्गल)-(कम्म) 6/1] उदय 2/1 तह (प्र) =वैमे ही भञ्जदि (भुञ्ज) व 3/1 मक व (प्र)=नही वज्झदे (बज्झदे) व कम 3/1 मक भनि गाणी (णाणि) 1/1 वि 100 सेवतो (सेव) वकृ || वि (म)=भी ण (अ)=नही सेववि (सव) व 3/1 मक असेवमाणो (प्रसेव) वकृ 1/1 वि (अ)= किन्तु सेवगो (सेवग) 111 वि फो वि (क) 1/1 स पगरणचेट्ठा [ 85 चयनिका ५५

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