Book Title: Samaysara Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 116
________________ 77 परमट्ठो (परमट्ठ) 1/1 खलु (प्र)=निश्चय ही समग्रो (ममन) 1/1 सुद्धो (मुद्ध) भूक 1/1 अनि जो (ज) 1/1 मवि केवली (कलि) 111 वि मुणी (मुणि) 1/1 वि पाली (गारिण) 1/1 वि तम्हि (त)7/1 स ट्ठिवा (ट्ठिद) भू 1/2 अनि सहावे (महाव) 7/1 मुरिगणो (मणि) 1/2 वि पावति (पाव) व 3/2 मक रिणवारण (रिणवाण) 2/1 78 परमम्मि (परमट्ट) 7/1 दु (अ) =किन्तु प्रठिदो (अठिद) भूकृ 1/1 अनि जो (ज) 1/1 सवि फुणदि (कुण) व 3/1 मक तव (तव) 2/1 वद (वद) 2/1घ (अ) =और धारयदि (धारयदि) व 3/1 मक अनि त (त) 21 सवि सच (मन्व) 2/1 वि बालतव [ (वाल) वि-(तव) 2/1] वालवदं [ (वाल) वि(वद) 2/1 ] विति (बू) व 3/2 सक सन्वण्ह (मन्वप्ह) 1/2 वि 79 वदणियमाणि [ (वद)-(रिणयम) 2/2 ] घरता (घर) वकृ 1/2 सीलाणि (मील) 2/2 तहा (प्र)=तया तव (तव) 2/1 च (प्र)=और कुव्वता (कुन्य) व 1/2 परमट्टवाहिरा [ (परमट्ट) -(वाहिर) 1/1वि जे (ज) 1/2 मवि णिवाणं (रिणवाण) 2/1 ते (त) 1/2 सवि ण (अ)=नही विदति (विंद) व 3/2मक 80 परमट्टवाहिरा [ (परमट्ठ)-(वाहिर) 1/2 वि ] जे (ज) 1/2 सवि ते (त) 1/2 सवि अण्णाणेण (अण्णाण) 3/1 पुण्णमिच्छति [ (पुण्ण)+ (इच्छंति) ] पुण्ण (पुण्ण) 2/1 इच्छति (इच्छ) व 312 सक संसारगमणहेदु [ (संसार)-(गमण)-(हेदु) 2/1] वि (अ) =और मोक्खहेदु [(मोक्ख)-(हेदु) 2/1] प्रयाणता (प्रयाण) वकृ 1/2 80 ] समयसार

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