Book Title: Samadhimaran
Author(s): Rajjan Kumar
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
View full book text
________________
समाधिमरण
१३. १४.
१५.
१६.
१८.
जरवग्घिणी ण चंपई जाव ण वियलाइ हुँति अक्खाई बुद्धी जाव ण णासइ आउजलं जाव ण परिगलई । आराधनासार, २५ श्रावकाचार संग्रह (भाग-२), ८/९,१० अनु० पं० हीरालाल सिद्धान्तालंकार, श्री जीवराज जैन ग्रन्थमाला, शोलापुर समाधिमरणोत्साहदीपक, १९-२१ । जरा रोगेन्द्रियहानिभिरावश्यक परिक्षयो ।। जै० सि० को०, भाग ४, पृ०-३८६. श्री आचारांगसूत्रम्, अनु०-सौभाग्यमल जी, पृ०-५६६. आयारो, आचार्य तुलसी, पृ०-२९३. तत्त्वार्थसूत्र, अनु० पं० सुखलाल संघवी, पृ०-१८३. Sallekhana is not suicide, p.-6. जै० बौ० गी० आ० द० तु० अ०, (भाग-२), पृ०-४३६. कोसलय धम्मसीहो अर्से साधेदि गिद्धपुढेण। णयरम्मि य कोल्लगिरे चंदसिरिं विप्पजहिदूण।। भगवती आराधना, २०६७. पाडलिपुत्ते धूदाहेदूं मामयकदम्मि उवसग्गे।। साधेदि उसभसेणो अटुं विक्खाणसं किच्चा।। वही, २०६९. अहिमारएण णिवदिम्मि मारिदे गहिदसमणलिंगेण । उट्ठाहपसमणत्थं सत्थग्गहणं अकासि गणी ।। वही, २०६९ । सगडालएण वि तघा सत्तग्गहणेण साधिदो अत्थो। वररुइपओगहे, रुढे णंदे महापउमे ॥ वही, २०७० तस्थौ तरोस्तले यस्य ज्वलितो वह्निना ततः निपेतवद्भिरालातैः प्रत्यंगं स कदर्थित: ।। आराधनासार, पृ०-८९. शुकचरेण व्यंतरदेवेन तेन पूर्ववैरमनुस्मृत्य शीतलवारिणा सिक्तः तथा शीतलवातेन कदर्थित: सहजशुद्धं परमात्मानमाराध्य केवलाख्यं च ज्योतिरुत्पाद्य निर्वाणं प्राप्तवान् श्रीदत्तो मुनिः। आराधनासार, पृ०-१०९. इतश्च पांसुलश्रेष्ठी चिरंतननिजांगनासक्तिजनितं वैरमनुस्मृत्य तीव्रतरक्रोधावेशात्तं मुनीदें गजकुमारं लोहकीलकैः कीलयित्वा बहुतराँ पीडां चापाद्य प्रपलाय्यगतः। मुनीन्द्रोपि तथा विधां बाधां सोढूवा धर्मध्यानेन स्वर्गत:।।
वही, पृ० १०८. अन्तकृद्दशा, अष्टम् अध्ययन, तृतीय वर्ग, पृ०-७८-८०. तेसिं सोच्चा सपुज्जाणं संजयाण वुसीमओ।। न संतसन्ति मरणन्ते सीलवन्ता बहुस्सुया । उत्तराध्ययन, ५/२९. णिमम्मो णिरहंकारो णिक्कसाओ जिदिंदिओ धीरो। अणिदाणो दिठिसंपण्णो मरतो आराहओ होइ ।। मूलाचार (पूर्वार्द्ध). १०३ णिक्कसायस्स दंतस्स सूरस्स ववसाइणो ।
२०.
२३.
२४.
२५.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238