Book Title: Samadhimaran
Author(s): Rajjan Kumar
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 202
________________ जैनधर्म में समाधिमरण की परम्परा १५९. श्रमणोपासक, जून १९७८, पृ० ४६. १६०. जैन- जगत, जून १९८०, पृ० - ४०. १५१. वही, जून १९८०, पृ० ४०. १६२. श्री जिनेन्द्रवर्णी स्मरणान्जलि, पृ० - १६२-१६३. १६३. दैनिक जैन समाज, ८ जून, १९८७, पृ० १. १६४. जैन-भारती अंक ३२, १७ अगस्त १९८७, पृ०-१७. १६५. जैन भारती, १४ सितम्बर १९८७, पृ०-१२०. १६६. जैन- भारती, जैन ३८, २८ सितम्बर १९८७, पृ० - २०. १६७. अमर - भारती, अगस्त १९८७, पृ० - ४८. १६८. जैन- जगत, अक्टूबर, १९८७, पृ० - ९१. १६९. जैन - प्रकाश, १६ अक्टूबर १९८७, पृ० - २९. १७०. सुधर्मा, अंक ७ जनवरी १९८८, पृ०-५६. १७१. जैन- जगत, फरवरी १९८८, पृ० - ६३. १७२. जैन - भारती, २१ मार्च १९८८, पृ० - १६. १७३. सम्यगज्ञान, मई १९८८, पृ० - २५-२६. १७४. जैनमित्र (साप्ताहिक १) १ अगस्त, १९९६, पृ० २९९. Jain Education International For Private & Personal Use Only १८९ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238