Book Title: Samadhan Author(s): Bhadraguptasuri Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba View full book textPage 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ३२. ३३. ३४. ३५. ३६. ३७. ३८. ३९. ४०. ४१. ४२. ४३. ४४. ४५. ४६. ४७. ४८. ४९. ५०. ५१. ५२. ५३. ५४. ५५. ५६. ५७. ५८. ५९. ६०. ६१. ६२. ६३. www.kobatirth.org आयुष्य कर्म. चार गति के कारण. गति नाम कर्म (देवगति) जाति नाम कर्म शरीर नाम कर्म वर्ण-गंध-रस स्पर्श नाम कर्म संहनन एवं पर्याप्ति. बंधन नामकर्म वर्गणाएं आनुपूर्वी थिद्धि निद्रा के बारे में. नामकर्म. ज्योतिष चक्र (आतप नामकर्म) पराघात नामकर्म. तीर्थंकर नामकर्म काल एवं कारण कर्म सिद्धान्त की सर्वोपरिता त्रस एवं स्थावर नामकर्म सूक्ष्म-बादर-पर्याप्ति नामकर्म प्रत्येक-साधारण नामकर्म स्थिर-अस्थिर नामकर्म. शुभ-अशुभ-सुस्वर- दुःस्वर (नामकर्म) सुभग-दुर्भग नामकर्म आदेय अनादेय नामकर्म यशकीर्ति, अयशकीर्ति नामकर्म ज्ञानावरण-दर्शनावरण कर्मबंध शाता-अशाता कर्मबंध मोहनीय कर्मबंध आयुष्य कर्मबंध गोत्र कर्मबंध अंतराय कर्मबंध उपसंहार For Private And Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५६ १६० १६४ . १६८ १७१ १७६ १८० १८४ १८८ १९२ १९६ २०१ . २०५ २०९ २१३ .२१७ .२२१ २२५ .२२९ .२३३ २३७ .२४१ २४५ . २४९ .२५३ . २५७ .२६१ . २६५ .२६९ .२७३ .२७७ .२८२Page Navigation
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