Book Title: Samadhan
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 16
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्पर्श कर, जो वस्तु... जो तत्त्व हमारे अनुभव में नहीं आ सकता है, उस वस्तु का, उस तत्त्व का निर्णय अनुमान से, तर्क से किया जा सकता है। ___ 'कर्म' ऐसा तत्त्व है। 'कर्म' को कानों से सुनकर या आँखों से देखकर निर्णय नहीं कर सकते कि 'कर्म' है!' वैसे कर्म नाक से सूंघा नहीं जा सकता है, जीभ से उसका स्वाद नहीं आता है और हाथ से उसको छुआ नहीं जा सकता है। कर्म के अस्तित्व का निर्णय इसलिए अनुमान से किया गया है। ___ अलबत्, जो सर्वज्ञ होते हैं, केवलज्ञानी होते हैं (अभी इस दुनिया में कोई नहीं है! 'महाविदेह' नाम की दुनिया में है!) वे कर्मों को और कार्मण पुद्गलों को प्रत्यक्ष देख सकते हैं! वे आँखों से नहीं, आत्मा से ही देखते हैं! जब श्रमण भगवान, महावीर सर्वज्ञ-वीतराग बने थे, तब उन्होंने चराचर विश्व को, आत्मा से प्रत्यक्ष देखा था। उन्होंने जो देखा, जैसा देखा, वो ___ और वैसा लोगों को कहा। उनका कथन, उनका उपदेश सत्य था। चूंकि असत्य बोलने का कोई भी प्रयोजन शेष नहीं रहा था उनके लिए। जो सर्वज्ञ-वीतराग बन जाते हैं, वे असत्य कभी नहीं बोलते । अज्ञानी, अपूर्ण ज्ञानी और रागी-द्वेषी जीव ही असत्य बोलते हैं। चूंकि असत्य बोलने के असंख्य प्रयोजन होते हैं उनको! जो आत्माएँ सर्वज्ञ बन जाती हैं, वीतराग बन जाती हैं, वे अरूपी और अमूर्त तत्त्वों को भी प्रत्यक्ष देख लेती हैं। उनके लिए दुनिया का कोई भी तत्त्व अदृश्य नहीं रहता है। इसी वजह से, श्रमण भगवान महावीरस्वामी, इन्द्रभूति गौतम को आत्मा के अस्तित्व को बता पाए । अग्निभूति गौतम को कर्म का अस्तित्व समझा पाए | चूँकि वे आत्मा को और कर्म को प्रत्यक्ष देख पाए थे। भगवंत ने हजारों-लाखों लोगों के मन के समाधान किए थे। लोगों ने शांति पाई थी, मोक्षमार्ग पाया था और पूर्णता की ओर अग्रसर हो पाए थे। उन करुणानिधान भगवंत ने जो ज्ञानगंगा बहायी थी, आज उस ज्ञानगंगा में थोड़ा सा भी जो पानी बह रहा है, वह पानी लेकर, मैं तेरे मन का समाधान करने का प्रयत्न करता रहूँगा। आशा और विश्वास रखता हूँ कि तेरे मन का थोड़ा सा भी समाधान होगा। पत्र समाप्त करता हूँ। स्वस्थ रहे-यही मंगल कामना, - भद्रगुप्तसूरि For Private And Personal Use Only

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