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- औदारिक, वैक्रिय, आहारक, तैजस, कार्मण, श्वासोच्छवास, भाषा और मन- इन आठों प्रकार की पुद्गल-वर्गणायें अनंत-अनंत होती हैं।
चेतन, पुद्गल-परमाणुओं की भी एक विशालतम सृष्टि है। चिंतन का अटल खज़ाना है इस सृष्टि में!
चिंतन करना इन बातों पर
शेष कुशल,
- भद्रगुप्तसूरि
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