Book Title: Sachitra Siddh Saraswati Sindhu
Author(s): Kulchandravijay
Publisher: Sankheshwar Parshwanath Jain Mandir
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। कविकालिदासविरचितं श्रीशारदास्तोत्रम् |
१
पाटा हे. ज्ञा. लं. प्रत नं. ११५७५, सूरत है. सि. ज्ञा. ४२५/३८२७ द्रुत विसंजित छं६ :- सरस शांति सुधारस..... विपुलसौख्यमनंतघनागमं रिपुकुले क्षयमिश्रसमागमम् । निगमशास्त्रविवेकमहोदयं, भवति पंचविनायकदर्शनम् ||१|| विशदशारदचंद्रनिभाननाः, मृगपयोभविखं जनलोचना । तरुणभूरुह-पल्लवितं धरा, हरतु नो दूरितं भुवि भारती ॥२॥ श्रवणमंडितसन्मणिकुंडला, भ्रमरमर्ज्जितकज्जलकौतला । कनकरत्नमनोहरमेखला, हरतु नो दूरितं भुवि भारती ॥३॥ विधुमरालपयोच्छविदुज्वला, तनुलताकुसुमांबुजपेशला । दशनदाडिमबीजविराजिता, हरतु नो दूरितं भुवि भारती ॥४॥ स्तनविडंबितहेमनीदुर्नति, स्तददूरोज्झितकुंजरकुंमहा । चरणकांति ेजितारणपङ्कजा, हरतु नो दूरितं भुवि भारती ||५|| विमलविद्रुमपांणीरुहासना, सलिलसंभवनालिलसद्भुजा । 'कमल' -कौमलजाविसुचांकरा, हरतु नो दूरितं भुवि भारती ॥६॥ प्रगट पांणीकरेजपमालिका, कमलपुस्तकवेणुविद्याधरा । * धवलहंससमाश्रितवाहना, हरतु नो दूरितं भुवि भारती ||७|| हरति' सैवपति र्वसुभूधरा, सकलधर्मसुधारससागरा । मनुजमानुजजल्पमहोरवी', हरतु नो दूरितं भुवि भारती ||८|| कमलकंध शिताचरणंवरी. '-कंकणहारसदागजा । सुकविमानसमांन समारुला, हरतु नो दूरितं भुवि भारती ॥९॥ कमलकैटमनां वपूनादरी, सकलमंगलभुरूहमंजरी । बहुधनार्पिततांमृतवल्लरी, हरतु नो दूरितं भुवि भारती ||१०||
सुरनरानररानररागदा, विबुधिमा "बुधे माबुधिमां नदा । सुकविताकविताकवितारदा, हरति गौरिवमौरिवगोरिसा हरतु नो. ॥११॥
१ जयमित्र । २ वरण कांति नितारण । ३ कुंकुम जाति सुचिकरा । ४ कमल पुस्तक वेणि वराधरा, धवल हंस समाहित वाहना प्रगट. । ५ दुरित । ६ रवि । ७ कंद - वरा । ८ सुघटकं कणहार । ९ मारुता । १० विपनोदरी । ११ मा - मां । १२ गौ-गौरीसी ॥

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