Book Title: Sachitra Siddh Saraswati Sindhu
Author(s): Kulchandravijay
Publisher: Sankheshwar Parshwanath Jain Mandir
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रक्षावय :
ॐ वद वद वाग्वादिनी र्हां शिरसे नमः । भस्त उपर हाथ ईश्ववो.
ॐ महापद्मयशसे ह्रीं योगपीठाय नमः ।
ॐ वद वद वाग्वादिनी हूँ शिखायै नमः । शिया उपर हाथ राजवी. ॐ वद वद वाग्वादिनी हैं नेत्रद्वयाय वषट् । ने उपर हाथ राजवी.
ॐ वद वद वाग्वादिनी हैं। कवचाय हुँ ।
ॐ वद वद वाग्वादिनी हूः अस्त्राय फट् ।
पछी ॐ अर्हं मुखोम्भोजवासिनीं पापनाशिनीम् । स्तोत्र जोस. त्यारजाह, (पे. नं. ५ उपर छे.)
१. आह्वान मंत्र :
ॐ नमो अणाईनिहणे तित्थयरपगासिए गणहरेहिं अणुमण्णिए, द्वादशांगपूर्वधारिणि श्रुतदेवते सरस्वति ! अत्र एहि एहि संवौषट् । आस्वानमुद्राथी
५२.
२. स्थापना मंत्र :
ॐ अर्हमुखकमलवासिनि ! वाग्वादिनि ! सरस्वति ! अत्र तिष्ठ ठः ठः ॥ સ્થાપના મુદ્રાથી.
13. संनिधान मंत्र :
ॐ सत्यवादिनि! हंसवाहिनि! सरस्वति! मम संनिहिता भव भव वषट् । સંનિધાન મુદ્રાથી, બે હાથની મુઠ્ઠી સામે રાખી અંગુઠા અંદર રાખવા.
૧૧૭
४. (सन्निरोध मंत्र)
ॐ ह्रीं श्रीं जिनशासन- श्री द्वादशाङ्गयधिष्ठात्रि ! श्री सरस्वति देवि जापं पूजां यावदत्रैव स्थातव्यम् नमः ।
प. अवगुंठन मंत्र :
ॐ सव्वजणमणहरि ! भगवति ! सरस्वति ! परेषामदीक्षितानां अदृष्यो भवभव || अवगुंठन मुद्राथी, जे भुट्ठी सामे राजी जे तर्भुनी (पहेली) खांगणी सोने
લાંબી
ભક્તિગીતો
આ રીતની ક્રિયા પૂર્ણ કર્યા બાદ સરસ્વતી દેવીની સ્તવના ગાવા. પછી મંત્ર પ્રદાન વિધિ કરવી.
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