Book Title: Rushabhdev
Author(s): Mishrilal Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 5
________________ ऋषभदेव अस्त्र-शस्त्र बनने लगे। AL मान व्यापार होने लगा। KINDI MITTIITH क MOD अयोध्यापति सम्राट ऋषभदेव की और से घोषणा की जाती है। जो जितना -श्रम करेगा सुखी रहेगा। आलसी भूखों मरेंगे। प्रजाजन एकदूसरे की सहायता करे।झूठन बोलें,चोरी नकरें,सभी प्रकार कीबुराईयों से दूर रहें। MILAW EDIAMERIma SIC

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