Book Title: Rushabhdev
Author(s): Mishrilal Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 25
________________ ऋषभदेव श्रमण बाइबलि जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त होगरतीर्थकंर संसार के कल्याण के लिए विहार करते हैं। withili मात्र आत्मतत्व हूं। पादेह अदृश्य हो गई महान उपकारक,प्रजापति, मनु,शंकर,तीर्थकरहमें छोड़करचळेगए। नस्नारियों, यह रोने का समय नहीं है।ऋषभदेव भगवान मुक्त होग) उन्हें निर्वाण प्राप्त हो गया।

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