Book Title: Rushabhdev
Author(s): Mishrilal Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 9
________________ ऋषभदेव । मैं छः माह तक अन्न-जल छोड़करतपस्या में लीन रहूंगा। OWO Turo स्वामी मेरे घर भोजन >को पधारें। में स्वर्ण मुद्राएं भी भेंट करूंगा।भगवन मेरे घर भोजन करने चले। सन्यासीऋषभदेव नेछः माह से आहारनहीं लिया। ये भूख,प्यास कैसे सहन कर लेते हैं। KIPES TAG AATRO EDIEDEDE TUNE UDIO Vinाय MEDIOD भैया सोमप्रभ। आज अपने नगर में एक महान सन्यासी आने वाले है। उन्हें/ आहार कराना है। बड़े भैया। हस्तिनापुर के राजमहल में किसी प्रकार की कमी नहीं है। भोजन करायेंगे,स्वर्ण भेंट करेंगे। ROOO

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