Book Title: Rushabhdev
Author(s): Mishrilal Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 18
________________ जैन चित्रकथा सेनापति। तुमठीक कहते हो। बाहुबलि ने मेरा अपना किया है। मुझे विश्वास है विशाल सेना देखकर उसका घमण्ड चूर-चूर हो जाएगा। रा अपनीमार्गशिप तो पोदनपुर पर आक्रमण करने की अनुमति प्रदान करे। गाज प00000000 आज्ञा नहीं क्या कोई संधि का प्रस्ताव आया स्वामी। Widin

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