Book Title: Rushabhdev
Author(s): Mishrilal Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 16
________________ भैया भरत को प्रणाम करताहूँ। विश्व विजय में कोई संकट तोनहीं आया जैन चित्रकथा विश्व विजय का अभियान सफल रहा किन्तु स्वामी। DO OCOM किन्तु क्या ? सम्राट विश्व विजय का अभियान अभी पूरा नहीं हुआ, अभी आपने सम्राट भरत की आधीनता स्वीकार नहीं की है। पिताश्री भगवान ऋषभदेव ने "भरत को अयोध्या और मुझे पौदनपुरका सम्राट घोषित किया था, राजदेते समय पिताश्री ने कहा था, परतंत्रता सबसे बुरी और, कष्टदायक होती है। हम आधीनता स्वीकारनहीं करेंगे। HOOTOO O(Plalaa UNTI महाराजा तब विशालचतुरंगनी सेना से युद्ध करना होगा। युट्ट से डरता कौन है। जाओ भैया भरत को नमस्कार कहना किन्तु सम्राट के रूप मेंन मैं उन्हें नमस्कार करूंगोऔर न आधीनता स्वीकार करूंगा। 14

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