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प्रवेशक
रायपसेणइय सुत्
मार्नु छु. आवां प्रकाशनो बहार पाडवां ए पक ज माणस माटे बहु मुश्केल वात होवा छतां आ सूत्रने प्रसिद्ध करवा माटे श्रीगुजरग्रन्थरत्न कार्यालयवाळा भाई शंभुलाल जगशीभाई शाहने हुँ अभिनन्दन आपुं . आ प्रकाशनमा केटलीक खामीओ रही गई छे अने ते मारा ध्यान वहार नथी, परन्तु नबळी आंखवाळो पकलो हुं, खूब इच्छा थतां, ए खामीओने दूर करी शक्यो नथी. कोई आगमप्रेमी आ प्रकाशन मारफत आगमना विशेष शुद्धीकरण माटे पूर्वोक्त रीते प्रयत्न करशे तो हुं मारा आ प्रयत्नने सफळ थयो मानीश.
॥३०॥
१२/व, भारतीनिवास सोसाईटी
एलिसब्रिज अमदावाद.
बचरदास.
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