Book Title: Punyadhya Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
View full book text
________________ पुण्याचं चरित्र सान्वय भाषान्तर 202 // 12021 ESSA पांच दिवसो सुधी हुँ घरमांज रह्यो. // 488 // .. .. रोमरोमपतच्छिद्रं मत्वाथ मृतमेव तम् / त्वां दृष्टुं निरगां गेहात्सुकृतैदर्शितोऽसि // 489 // अन्वयः-अथ रोम रोम पतन छिद्रं तं मृतं एव मत्वा त्वां द्रष्टुं गेहाद निरगां, च सुकृतैः दतिः असि.॥४८९॥..... अर्थः-पछी रुंबाडे रुंवाडे जेने छिद्रो पडेला छे, एवा ते हंसने मरेलोज मानीने तने मळवामाटे हु घेरथी निकळयो छु, तथा पुण्ययोगे (आ).तने मळ्यो छु. // 489 // . विषग्रासदिनान्मासः पूर्णः मामटतो मम / त्वज्ज्येष्ठोऽद्य मृतो वास्तु म्रियतां वा हतोऽस्मि हा 190 अन्वयः-क्ष्मा अटतः मम अद्य विषग्रास दिनात मासः पूर्णः, त्वत् ज्येष्ठः मृतः अस्तु, वा म्रियता वा हा हतः अस्मि. 490 अर्थ:-पृथ्वीपर भमता मने आजे तेना मेरी अनाज खावाना दिवसथी एक मास पूरो थयो छे, माटे (आजे तो) ते तारो म्होटो भाइ मरी गयो हशे, अथवा मरण पामशे अरे! हुं तो (हवे) मुबोज पड्यो छु! // 49 // 290099928 D@@0000000000000000

Page Navigation
1 ... 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229