Book Title: Punyadhya Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ peel en992192elegegeeeee पुण्यादय चरित्रं 211 इत्यादिमधुरध्वानो गमयित्वा तमीमिमाम् / जिनपूजनपूतात्मा भूपस्तत्फलमाहरत् // 509 // ... सान्वय भाषान्तर - अन्वयः-इत्यादिमधुरध्वानः भूपः इमा ती गमयित्वा जिनपूजनपूतात्मा तत् फलं आहरत् // 509 // 2111 अर्थ:-इत्यादि मधुरवाणी चोलता(ते)राजाए ते रात्रि निर्गमन कर्यावाद जिनपूजनथी आत्माने पवित्र करी ते फलनों आहारकों तदैव फलतस्तस्मादकस्माद् भूपतेर्वपुः। सरोजमिव संकोचमुन्मुमोच विरोचनात् // 510 // अन्वया-तदा एव तस्मात् फलतः विरोचनात् सरोज इव अकस्मात् भूपतेः वपुः संकोच उन्मुमोच. // 510 // अर्थ:-तेज बखते ते फलना (प्रभावथी) पूर्वी कमलनी पेठे अकस्मात् राजाना शरीरे संकोचपणानों त्याग कयौं वरना भूपः स्वभावसुभगो धूतसंकोचविक्रियः। विश्वदृक्पेयता प्राप दिनमुक्तेन्दुधामवत् // 511 // अन्वया स्वभावसुभगर, धृतसकोचविक्रियः भूपः दिन मुक्त इंदु धामवत् विश्वक्पेयता प्राप..॥५११ / / . अर्थ:-स्वभावथीज मनोहर, तथा दूर थयेल'छे संकोचनो विकार जेनो, एवो ते राजा दिवसथी मुक्त भयेला चंद्रना तेजनी CS Seeleeas DESIGGESCEIGreececreteeee Jun Gun Aaradhak Trust PP.AC.Gunratnasuri M.S.

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