Book Title: Punyadhya Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ 099999999999999X9X9938 पुण्याख्या 1215 // सान्वय भाषान्तर / 215i / अह्वा मासेन वर्षेण दशवापि भोजनम् / करिष्यामि जिनं प्रेक्ष्य प्रासादेऽत्र प्रतिष्ठितम् // 519 // अन्वयः-अहा, मासेन, वर्षेण, दशवर्ध्या अपि अत्र प्रासादे प्रतिष्ठितं जिनं प्रेक्ष्य भोजनं करिष्यामि // 519 // अर्थ:-एक दिअसे, एक मासे, एक वर्षे, अथवा दश वर्षे पण आ जिनमंदिरमा प्रतिष्ठित थयेली जिनपतिमाना दर्शन करीनेज हुँ भोजन करीश. // 519 // नृमाणिक्य न शक्योऽयं तरीतुं निश्चयार्णवः / इत्येष लपतोऽमात्यानवमत्याविशत्पुरम् // 520 // अन्वया-(हे) नृमाणिक्य! अयं निश्चयार्णवः तरीतुं शक्यः न, इति लपतः अमात्यान् अवमत्य एषः पुरं अविशत् // 520 // अर्थः-पुरुषोमा माणिक्यरत्नसरखा हे राजन! आवा भकारना नियमरूपी महासागरने तरी शकायज नही, एम बोलता मंत्रिओनी पण दरकार कर्याविना (एटले तेओना कहेवापर ध्यान न देता) ते राजा नगरमा दाखल थयो. // 520 / / .. जिनधामद्रुताधानबद्धारम्भास्तदैव ते। पुण्याहमङ्गलं तत्र मन्त्रिमुख्या व्यधापयन् // 521 // MOBOXXOXOXOXOX080000 P.P.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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