Book Title: Punyadhya Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
View full book text
________________ मान्वय भाषान्तर 0000000000000000001 पुण्याढय अर्थः-असंख्याता सुखोनी प्राप्तिवाळा, तथा हमेशा आनंयमांज रहेनारा एवा परमात्माथी सेवायेलो मूळगंभार साक्षात चरित्रं मोशनी पेठे राजाना हर्षमाटे ययो. / / 538 / / // 22 // अथाहत्प्रतिमामर्ककोटिकान्तिकृतामिव / पश्यन्स भूपश्चिक्षेप भवकोटिभवं तमः // 539 // अन्वयः-अथ अर्क कोटि कांति कृता इव अहमतिमां पश्यन् सः भूपः भवकोटिभवं तमः चिक्षेप. // 539 // अर्थः-पछी जाणे कोडोगमे सूर्योनी कांतिथी बनावी होय नही! एवी श्रीअरिहंतप्रभुनी प्रतिमाने जोता एवा ते राजाए क्रोडोगमे भवोमां बांधेला पापोने (अंधकारने-अज्ञानने) दूर फेंकी दीधा.॥५३९ / .. . रूपातिशयविस्फूतों विभोर्मूतों नरेशितुः / स्पर्धयेवाक्षियुग्मस्य जगाम स्थिरतां मनः॥ 540 // - अन्वयः-रूपातिशयविस्फूतौं विभोः मृतौ अक्षियुग्मस्य स्पर्धया इव नरेशितः मनः स्थिरता जगाम // 540 // अर्थ:--अत्यंत तेजथी विकखर थयेली एवी ते प्रभुनी प्रतिमामा जाणे बन्ने आंखोनी सर्वाथी होय नही! तेम ते राजानुं मन GOG.com P.PLAC,Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

Page Navigation
1 ... 222 223 224 225 226 227 228 229