Book Title: Punyadhya Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ पुण्यादय 1225/ ODe0000OOOOOOOOOOO तस्य घातीनि कर्माणि दग्धानि ध्यानवह्निना / तद्वियोगादिव भवोपग्राहीण्यप्यगुः क्षणात् // 543 // / अन्वयः-तस्य घातीनि कर्माणि ध्यान वहिना दग्धानि, तद्वियोगात् इव भवोपग्राहीणि अपि क्षणात् अगुः.॥५४॥ अर्थः- ते राजानां घातिकमों ध्यानरूपी अनिवडे बळी गयां, अने जाणे तेओना वियोगथीज होय नही! तेम तेनां भवोपग्राही कर्मों पण क्षणवारमा चाल्यो गयो / / 543 // . तस्यामिव सहाय्यायां घटिते घनमेलतः / नृपेऽस्मिन्कृतसंकेते ज्ञानमोक्षश्रियौ समम् // 544 // अन्वयः-तस्यां सहाय्यायां कृत संकेते इव ज्ञानमोक्षश्रियो धनमेलत: अस्मिन् नृपे समं घटिते. // 544 // अर्थः ते क्षपकश्रेणिनी मदद होते छते, जाणे बन्नेए संकेत करी राख्यो होय नहीं ! तेम केवलज्ञाननी अने मोक्षनी लक्ष्मीओ (परस्परना) घाटा संबंधथी ते राजाने एकीवेळाएज प्राप्त थइ (अर्थात् ते अंतकर केवली थइ मोक्षे गया.) // 544 // अथ विज्ञाय तज्माननिर्वाणमवनीविभोः / मूढत्वेनैव मन्वानान्वज्रपातमिवोत्सबम् // 545 // 000000 GOOOOOGOOOOOOOOOOOK and Jun Gun As r ust

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