Book Title: Punyadhya Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 221
________________ DOICE00000000000000 पुण्याय चरित्रं सान्वय भाषान्तर 220 1220 // DO90090 'अन्वयः-मासादमौलिं आरुह्य नृत्यंत्याः सुकृतश्रियः लोलं हस्तं इव पताका प्रेक्ष्य नृपः मुमुदे // 531 / / अर्थ:-ते जिनमंदिरना शिखरपर चडीने नाचतीएवी पुण्यलक्ष्मीनो जाणे चपल हाथ होय नहीं? एवी पताकाने जोइने ते राजा खुशी थवा लाग्यो. // 531 / / ... ............. .. .... कल्याणकलशं पश्यन्मौलौ जिनगृहश्रियः / मुक्तिप्रस्थानकृभूपः शकुनेनान्वमोदत / 532 // 'अन्वय:-जिनगृहश्रियः मौलौ कल्याणकलशं पश्यन् मुक्तिसंस्थानकच भूपः शकुनेन अन्वमौदत, // 532 // अर्थः-जिनमंदिरनी लक्ष्मीना मस्तकपर रहेला सुवर्णना कलशने जोतो, तथा मोक्षमाटे प्रयाण करतो एवो ते राजा तेने शुभ शकुन मानी लेनी अनुमोदना करवा लाग्यो. // 532 // ... चान्द्रीः कलाः शिलाभावं गमयित्वेव निर्मितः। जिनालयोऽसौ भूपस्य निन्येऽक्षिकुमुदं मुदम् / 533 // अन्वयः-चांद्री; फलाः शिलाभावं गमयित्वा निर्मितः इव असौं जिनालयः भूपस्य अक्षिकुमुद मुदं निन्ये / / 533 // Seemacad SWAPN Jun Gun Aaradhak imalkhabRY Poslmsnileakeelipadhana n daus.desi.

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