Book Title: Punyadhya Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ COOOOOOOOS पुण्याढ्य चरित्रं सान्वय भाषान्तर 207 / 1287 / अन्वयः-केशवः ऊर्वीशः किं वर्ण्यः? यत्पदोदकं भूतभाविरुजः मेत्तुं आ समुद्रं नृपैरपि सिषेवे. // 50 // अर्थः-आ केशवराजानी केटली प्रशंसा करीयें? जेना चरणोदकने, थयेला तथा थनारा रोगोनो नाश करवाम समुद्रकिनारा सुधीना (सघळा) राजाओए पण अंगीकार कयु. // 500 // भाविरोगभिया स्वर्णकलशे क्षिप्तमोकसि / न जीवितमिवारक्षि केनोयाँ तत्पदोदकम् // 501 // अन्वयः-ऊया भाविरोगमिया तत्पदोदकं स्वर्णकलशे क्षिप्तं जीवितं इव ओकसि केन न अरक्षि? // 501 // अर्थ:--(वळी) आ पृथ्वीपर थनारा रोगना डरथी ते केशव राजानु चरणोदक सुवर्णना कळशमा राखीने (पोताना) जीवनी पेठे घरमा कोणे न साचवी राख्यु? (अर्थात सर्व लोकोए संघरी राख्यु) // 501 // .. सद्यः प्रभावमासाद्यं भूपतेरिति धर्मजम् / राम्याहारपरीहारपरा जज्ञे धरा स्वयम् // 502 // * अन्वयः-इति भूपतेः धर्मजं सद्या प्रभावं आसाथ धरा वयं रात्रि आहार परीहार परा जज्ञे. // 502 // 00000000 P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradnak Trust

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